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Chhattisgarh

नवीन मेला ग्राउंड में 15 दिनों में भी लेवलिंग का काम पूर्ण नहीं, दो महीने में कैसे होगा स्थाई निर्माण संशय बरकरार

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । प्रदेश के प्रसिद्ध प्रयाग भूमि राजिम में प्रतिवर्ष लगने वाला राजिम माघी पुन्नी मेला को इस वर्ष स्थाई निर्माण के लिए नवीन मेला ग्राउंड में काम शुरू कर दिया गया है। पिछले 15 दिनों से पहले एक तथा अब दो जेसीबी मशीन से लेवलिंग का काम किया जा रहा है। जो अभी तक ओल्ड नहीं हुआ है। कछुआ चाल से काम चल रहा है।54 एकड़ जमीन पर यह निर्माण होना है 25 नवंबर दिन गुरुवार को जिला कलेक्टर निलेश क्षीरसागर अपने कनिष्ठ अधिकारियों के साथ मेला स्थल का निरीक्षण किया तथा उन्होंने मेले में होने वाले पूरे स्थाई निर्माण के लिए तीन-चार साल का समय बताया है तथा इस वर्ष कुछेक स्थाई निर्माण कराने की बात कही थी इनके लिए छत्तीसगढ़ शासन द्वारा करोड़ों रुपया की स्वीकृति भी मिल चुकी है। बता देना जरूरी है कि इतने बड़े मैदान में विशाल मेला लगना है जिसमें ना कि प्रदेश भर के लोग पहुंचेंगे बल्कि देश एवं विदेश के श्रद्धालु भी बड़ी संख्या में पहुंचकर पुण्य लाभ अर्जित करते हैं। उस दृष्टिकोण से इनका स्वरूप बृहद है और इसके निर्माण के लिए मात्र 70 दिन का समय बचा हुआ है। 16 फरवरी से माघी पुन्नी मेला शुरू है इतने कम समय में कौन-कौन से निर्माण कार्य पूर्ण होंगे यह कौतूहल का विषय बना हुआ है। उल्लेखनीय है कि मेले में मीना बाजार, सांस्कृतिक मुक्ताकाश मंच, वृहद दर्शक दीर्घा, ग्रीन रूम, शासकीय प्रदर्शनी के लिए स्टाल, सजने वाली दुकान, सर्कस मैदान, साधु संतों के लिए कुटिया, प्रवचन स्थल, सड़कों का जाल के अलावा अनेक आयोजन संपन्न होते हैं इसके लिए लगातार साल भर तक काम होना चाहिए था लेकिन पिछले वर्ष मेला शुरू होने के तकरीबन 2 महीने पहले प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू निरीक्षण किए थे तब कुछ जगह को लेवलिंग किया गया था तथा सड़क के लिए करीब 400 गज की दूरी तक साफ किया था। आनन-फानन में प्रशासन ने पुराने स्थल पर 2021 का मेला लगने की बात कही और लगा भी। उसके बाद इस ओर किसी ने झांककर भी नहीं देखा। देखते ही देखते जून-जुलाई बरसात का मौसम आ गया और अब जिला प्रशासन जगे हैं। इतने कम समय मे आयोजन की तैयारी कैसे होगी संशय बरकरार है। नदी किनारे तटबंध के नीचे तकरीबन गहरी गड्ढा है इसे पाटने में ही बहुत समय लगेगा तथा जिस गति से अभी काम हो रहे हैं उसके अनुसार महीने भर तो लेवलिंग का काम लगेगा। काम की शुरुआत बस हुई है। ज्ञातव्य हो कि धर्म नगरी राजिम में तीन नदियों का संगम है जिसमें प्राचीन काल से माघ पूर्णिमा से लेकर महाशिवरात्रि तक मेला लगता आ रहा है सारे काम अस्थाई होने से प्रशासन को करोड़ों रुपया खर्च करने पड़ते थे अस्थाई निर्माण के कारण पानी की तरह पैसा बह जाता था जिसकी चिंता पूर्ववर्ती सरकार ने भी की और अब कांग्रेस की भूपेश बघेल ने स्थाई निर्माण के लिए चौबेबांधा राजिम नदी किनारे 54 एकड़ जमीन आरक्षित किया है। इसमें से कुछ निजी जमीन है जिन्हें ट्रांसफर कर दूसरे जगह जमीन देने का काम हुआ है। मेले के लिए सड़कों का जाल बिछता है। चारों तरफ लंबी चौड़ी सड़के होती है जिसमें लोग अधिकतर पैदल ही आना-जाना करते हैं। नवीन मेला ग्राउंड में अभी तक कहां पर कौन सी रोड बनना है इसके लिए न ही जगह चिन्हांकित किया गया है और न ही कोई सर्वे दिख रहा है। जिला प्रशासन ने नवीन मेला स्थल पर कहां पर क्या होगा इसकी नक्शा भी सार्वजनिक नहीं किया है जिसके कारण लोगों में संशय बनी हुई है कि कहीं इस बार भी थोथा चना बाजे घना वाली कहावत चरितार्थ न हो जाय और आनन-फानन में ही फिर से पुरानी जगह पर आयोजन को संपन्न करना पड़े। कुछ भी हो समय बहुत कम है और काम को गति नहीं मिल रही है लोगों में संशय बरकरार है।

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