मां महामाया देवी का शृंगार सवा तीन किलो सोने के आभूषणों से किया
कोटा। आदिशक्ति माता दुर्गा के 51 शक्ति पीठों में एक रतनपुर की मां महामाया का महानवमी पर राजसी वैभव के साथ षोडश शृंगार किया गया। मां महामाया देवी का शृंगार सवा तीन किलो सोने के आभूषणों से किया गया हैं। साल में सिर्फ तीन बार ही ऐसे मौके आते हैं, जब माता का सोलह शृंगार किया जाता है। इसमें माता को कंठाहार, मुक्ता हार, रानी हार, करधन, ढार सहित सोलह तरह के सोने के दिव्य गहनों से शृंगार किया जाता है। चैत्र और शारदीय (क्वांर) नवरात्रि की महानवमी पर और दीपावली के दिन यह दिव्य राजसी शृंगार होता है। बाकी दिनों में मुकुट, छत्र, हार, तोड़ा का श्रृंगार रहता है। मां महामाया मंदिर में यह परंपरा है कि प्रतिपदा पर घट स्थापना के साथ देवी मां का जो शृंगार किया जाता है, वह महाअष्टमी पर हवन तक रहता है। इसके बाद महानवमी और रामनवमी पर सोलह शृंगार करते हैं। यह परंपरा बरसों से चली आ रही है। 1982 में ट्रस्ट बनने के बाद भी इस परंपरा को आगे बढ़ाया जा रहा है।