रोजगार की मांग पर भूविस्थापित किसानों द्वारा खदान बंदी के बाद कई गिरफ्तार : माकपा और किसान सभा ने की निंदा, रिहा करने की मांग, दी आंदोलन तेज करने की चेतावनी
कोरबा। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी और छत्तीसगढ़ किसान सभा के समर्थन-सहयोग से रोजगार एकता संघ द्वारा भूविस्थापित किसानों को रोजगार देने की मांग पर चल रहे धरना के एक माह बाद आज पूर्व घोषित कार्यक्रम के अनुसार सैकड़ों ग्रामीणों और विस्थापित बेरोजगारों ने कुसमुंडा खदान में घुसकर रात 2 बजे से उत्पादन और परिवहन कार्य ठप्प कर दिया। इससे प्रबंधन को करोड़ों रुपये का नुकसान पहुंचा है, जिसका आंकलन होना बाकी है। आंदोलन स्थल पर ग्रामीणों की बढ़ती संख्या से घबराकर प्रशासन ने माकपा नेता प्रशांत झा सहित नेतृवकारी लोगों को घसीट-घसीटकर गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है। महिलाओं सहित 50 से ज्यादा ग्रामीणों की गिरफ्तारी की खबर है, जिनमें राधेश्याम, रेशमलाल, रघु, दीनानाथ, दामोदर, मोहन, बलराम, रामप्रसाद, बजरंग सोनी, चंद्रशेखर, गणेश प्रभु, पुरषोत्तम, मिलन कौशिक, अजय प्रकाश, हरिशंकर, अश्वनी आदि कांग्रेस से अमरजीत सिंह , सनीष , परमानंद सिंह , पपी सिंह , पवन गुप्ता , गीता ग्वेल शामिल हुए आंदोलन के समर्थन में कांग्रेस पार्टी, माकपा, छत्तीसगढ़ किसान सभा एवं भारी भीड़ के साथ ठेका मजदूरों के साथ विस्थापित बेरोजगार भी बड़ी संख्या में शामिल हैं एवं अन्य संगठनों ने समर्थन दिया । माकपा ने प्रशासन के इस रवैये की तीखी निंदा की है।
उल्लेखनीय है कि कुसमुंडा खदान क्षेत्र के कई गांवों की जमीन को 1978 से लेकर 2004 के मध्य कोयला खनन के लिए अधिग्रहित किया गया है, लेकिन तब से अब तक विस्थापित ग्रामीणों को न रोजगार दिया गया है, न पुनर्वास। ऐसे प्रभावितों की संख्या 5000 से अधिक है और वे लंबे समय से रोजगार के लिए आंदोलनरत है, जबकि एसईसीएल प्रबंधन उन्हें रोजगार देने में आनाकानी कर रहा है। इस बीच एसईसीएल की पुनर्वास नीति भी कई बार बदल चुकी है और जहां प्रबंधन वर्ष 2012 की पुनर्वास नीति को लागू करने की बात कर रहा है, वहीं आंदोलनकारी वर्ष 2000 की नीति लागू करवाने पर अड़े हुए हैं। आंदोलनकारियों का कहना है कि 45 वर्ष पुराने भूमि अधिग्रहण पर नई पुनर्वास नीति थोपना गैर-कानूनी है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के राज्य सचिव संजय पराते ने इन गिरफ्तारियों की निंदा करते हुए आंदोलनकारियों को रिहा करने की मांग की है। उन्होंने आरोप लगाया है कि एसईसीएल प्रशासन की संवेदनहीनता के कारण ही विस्थापित बेरोजगारों का आंदोलन इतने चरम पर पहुंचा है, जिसे प्रबंधन उचित पहलकदमी करके टाल सकता था। उन्होंने कहा कि एक माह पहले एसईसीएल प्रबंधन ने समस्या को हल करने का लिखित वादा किया था, लेकिन इस दिशा में उसने कोई कार्य नहीं किया। रोजगार एकता संघ के अध्यक्ष राधेश्याम ने आंदोलन को और तेज करने की चेतावनी देते हुए कहा है कि दमन के सहारे जायज मांगों को कुचला नहीं जा सकता। उन्होंने कहा कि भूविस्थापितों का शांतिपूर्ण आंदोलन जारी रहेगा और एसईसीएल प्रबंधन को उन्हें रोजगार देना ही होगा।