अमावस्या तिथि पर सुहागिन महिलाएं करेंगी वट सावित्री की कठिन व्रत
संतोष सोनकर की रिपोर्ट
राजिम। अंचल में 30 मई दिन सोमवार ज्येष्ठ अमावस्या तिथि को अखंड सौभाग्य एवं सुखी वैवाहिक जीवन की कामना से वट सावित्री रखा जायेगा। यह व्रत मुख्यत: सुहागन महिलाएं रखती हैं। सती सावित्री की पतिव्रता धर्म से प्राभावित होकर यमराज ने उसके पति सत्यवान के प्राण लौटा दिए थे और उसे लंबी आयु प्राप्त हुई थी क्योंकि यमराज ने सावित्री को 100 बच्चों की माता बनने का आशीर्वाद दिया था जिसके लिए सत्यवान का लंबे समय तक जीवित रहना आवश्यक था इस पौराणिक घटना के बाद से सुहागन महिलाएं हर साल ज्येष्ठ अमावस्या को वट सावित्री व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं बरगद के पेड़ की पूजा करती है उसकी परिक्रमा के साथ ही उसके चारों ओर कलावा बांधती है। पंडितों के अनुसार वट सावित्री व्रत के नियम है जिसमें दो बांस वाली टोकरी लेकर एक में सप्तधान्य और था सात प्रकार के अनाज भरा जाता है और उसमें ब्रह्मा का मूर्ति स्थापित किया जाता है दूसरी टोकरी में सप्तधान्य भरकर सावित्री और सत्यवान की मूर्ति स्थापित किया जाता है। व्रत को लेकर महिलाओं में उत्सुकता है खासकर इसी वर्ष शादी हो कर ससुराल गए महिलाएं ज्यादा उत्सुक दिखाई दे रही है।वट सावित्री व्रत तिथिवट सावित्री व्रत 30 मई सोमवार को है वैसे अमावस्या तिथि प्रारंभ 29 मई दोपहर 2:54 से हो जाएगा तथा अमावस्या तिथि का समापन 30 मई को सायं 4:59 में होगा।