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अक्षय तृतीया का पर्व 3 को,इस बार महंगाई का असर पुतरा-पुतरी के दामों पर भी,दाम सुनकर ग्राहक कर रहे है मोलभाव

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संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । आज से चार दिन बाद अक्षय तृतीया का पर्व मंगलवार 3 मई को मनाया जाएगा इसके लिए ग्रामवासी तैयारियों में जुट गए हैं। शहर में जाकर मिट्टी के बने पुतरा पुतरी खरीद कर अपने घर ले आ रहे हैं। इस बार भी कीमत बड़ी हुई है एक जोड़ी₹50 में बेची जा रही है कीमत सुनकर कई लोग वापस चले जा रहे हैं उनका कहना है कि हमारे बच्चे मिट्टी से ही खुद बना लेंगे परंतु जैसे ही हमने इस मूर्ति को बनाने वाले कुम्हार से पूछा तो उन्होंने बताया कि इसे बनाने में ज्यादा मेहनत नहीं लगती एक परंतु रंग रोंगण और इनके साथ में जिस सामान से इन्हें सजाया जाता है इन सब को मिलाकर जो रेड बनाई गई है वह ज्यादा नहीं है फिर भी यदि उन्हें ज्यादा लगता है तो कोई बात नहीं है क्योंकि आज प्रतिमा बनाने वाले मिट्टी भी मिलने मुश्किल हो गए हैं बड़ी मुश्किल से मिट्टी का जुगाड़ करते हैं उसके बाद दिन रात मेहनत करने के पश्चात थी समान बिक्री योग्य बनते हैं यही मौका होता है कि हम अपने व परिवार के लिए दो चार पैसे कमा लेते हैं। उल्लेखनीय है कि कुम्हारों का व्यवसाय दिन प्रतिदिन आधुनिक जीवनशैली ने ले लिया है अब मिट्टी के बर्तन नहीं बल्कि स्टील या फिर वस्तुएं के बने हुए फैंसी आइटम आ जाने से उनके बर्तन को खरीदने वाले नहीं है मात्र गर्मी के समय कुछ लोग ही देसी मटका खरीदते हैं उनके अलावा अक्षय तृतीया, दुर्गा पक्ष, गणेश चतुर्थी, दीपावली पर्व में ही कुछ कमाई कर लेते हैं। बाकी समय खाली बैठे रहते हैं। बस इस शहर में सैकड़ों गांव के लोगों का आना जाना रहता है इसलिए राजिम अच्छी मार्केट है। अक्षय तृतीया के दिन शादी का विशेष लग्न होता है बड़ी संख्या में शादी विवाह होते हैं। इनके अलावा छोटे बच्चे इन प्रतिमाओं को लेकर विवाह के सारे रस्म अदायगी करते हैं जिसके कारण घर-घर में विवाह का माहौल बना रहता है बकायदा इसमें तेल हल्दी के अलावा टिकावन इत्यादि होते हैं बाजा भी बजाए जाते हैं नाचते गाते भी हैं और इस तरह से अक्षय तृतीया के भारतीय परंपरा पर लोग खो जाते हैं। तृतीया के दिन ही किसान अपने खेतों में खरीफ फसल की बोनी प्रारंभ करते हैं इस दिन बोने की परंपरा का निर्वाह कर देते हैं। अक्षय तृतीया भगवान परशुराम के जन्म दिवस के रूप में भी मनाया जाता है ब्राह्मण समाज के द्वारा शोभायात्रा निकाली जाती है। इस पर्व की तैयारियां विशेष रुप से की जा रही है एक और छोटे बच्चों में उत्साह है तो बड़े तैयारियों में लगे हुए हैं।

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