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राजिम के जिला बनने से पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा

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राजिम। राजिम को जिला बनाए जाने की मुहिम तेज होती दिख रही है। हर राजनीतिक दल के नेता, व्यापारी और शासकीय अधिकारी कर्मचारी सहित बेरोजगार नौजवान अब सामने आने के लिए तत्पर नजर आ रहे है। जिला की मांग बहुत पुरानी मांग है। दोनो शहर राजिम और नवापारा मिलाकर जिला संघर्ष समिति बनाए जाने की चर्चा भी सुनाई पड़ रही है। सबसे अहम बात यह है कि छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दिन ब दिन ट्रैफिक का दबाव बढ़ते ही चला जा रहा है। आने वाले साल दो साल में ये स्थिति और भी विकराल हो जाएगी। दोनो शहरों की आबादी करीब 55 से 60 हजार के आसपास है। जबकि अभी प्रदेश में बने नए जिलो के जिला मुख्यालय की जनसंख्या महज 10 से 12 हजार है। ऐसे बड़ी आबादी वाले दोनो बड़े शहर का किस्मत जिला के रूप में कब परिवर्तित होगा? इसका बेसब्री से हर किसी को इंतजार है। भौगोलिक दृष्टिकोण से भी राजिम जिला बनने की पूरी योग्यता रखता है। पर्यटन के क्षेत्र में पूरे प्रदेश में इनका कोई सानी नहीं है। खुद धर्म नगरी राजिम में 6वीं से लेकर 14 वीं शताब्दी तक बनाए गए मंदिरों में उत्कृष्ट कला नक्काशी तथा छत्तीसगढ़ राज्य के इतिहास की जानकारी यहां के शिलालेख से मिलती है। प्रसिद्ध श्रीराजीवलोचन मंदिर के महामंडप में दो शिलालेख उत्कीर्ण हैं तो संगम के बीच में स्थित कुलेश्वरनाथ महादेव मंदिर के महामंडप में एक शिलालेख मौजूद है। यह कुटिल एवं नागरी लिपि में है। जिस तरह से वाराणसी, काशी, उज्जैन, हरिद्वार, जगन्नाथपुरी, इलाहाबाद, नासिक जैसे देश के सुप्रसिद्ध तीर्थ स्थलों में लोगों का अगाध श्रद्धा एवं विश्वास है उसी तरह त्रिवेणी संगम राजिम के प्रति लोगों की अटूट श्रद्धा भरी हुई है जिसके परिणाम स्वरूप प्रदेश शासन के द्वारा प्रतिवर्ष राजिम माघी पुन्नी मेला का वृहद आयोजन देश-विदेश में छत्तीसगढ़ का नाम रोशन कर रहा है। यहां छठवीं से लेकर चौदहवीं शताब्दी के मध्य बनाए गए कलचुरी कालीन मंदिर उत्कृष्ट कलाकृति का अनोखा नमूना है। जिला बनने से पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा तथा दुनिया भर के पर्यटक, पर्यटन एवं तीर्थाटन के लिए पहुंचेंगे जिससे व्यापारिक गतिविधियां भी तेज होंगी। राजिम से पांच-पांच कोस की दूरी पर 5 स्वयंभू शिवपीठ है। पटेश्वरनाथ महादेव पटेवा एवं चंपकेश्वर नाथ महादेव चंपारण रायपुर जिला तथा गोबरा नवापारा तहसील में स्थित है। बम्हनेश्वरनाथ महादेव बम्हनी महासमुंद जिला में है। सतधारा नदी पार करने के बाद यह स्वयंभू शिवलिंग का दर्शन होता है। फनीकेश्वरनाथ महादेव फिंगेश्वर अर्थात राजिम से 17 किलोमीटर की दूरी में है। कपुर्रेश्वरनाथ महादेव कोपरा राजिम से 16 किलोमीटर पर ही स्थित है। वर्तमान में यह दोनों शिवपीठ गरियाबंद जिला में है। इसके अलावा राजिम जिला में अनेक धार्मिक स्थल होंगे। जिनमें प्रमुख रूप से प्रसिद्ध राजीवलोचन, कुलेश्वर नाथ महादेव धाम, मौली माता, मार्कंडेय आश्रम, देवी रमई पाठ, मां महामाया मंदिर, सिद्ध, जतमई-घटारानी, झरझरा माता आदि। धार्मिकता के साथ-साथ यह सांस्कृतिक दृष्टिकोण से भी अत्यंत प्रगाढ़ है। राजिम-नवापारा दोनों के विशाल भूभाग में लोक कलाकारों की सामंजस्य बनी रहती है मिलकर कला को नए पहचान देते हैं। साहित्यिक दृष्टिकोण से सन् 1881 में पंडित सुंदरलाल शर्मा के जन्म लेने के साथ ही साहित्य की परंपरा चल पड़ी है। प्रदेश के अधिकांश कवि एवं साहित्यकार राजिम से होकर ही आगे बढ़े हैं वर्तमान में नवापारा, राजिम, बेलर, पांडुका, कोपरा, फिंगेश्वर, छुरा में साहित्यिक समितियां गठित है। जिसके माध्यम से लगातार साहित्य को आकार मिल रहा है।


नवापारा और राजिम को मिला कर जिला बनाए जाने पर विधायक धनेन्द्र साहु ने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि नवापारा और राजिम को मिला कर जिला बनता है तो मैं उसका समर्थन करता हूं। छोटे-छोटे आबादी वाले जगह जिला बन रहे हैं तो नवापारा और राजिम को मिला दे तो यह क्षेत्र वृहद हो जाएगा और पूर्व की भांति नवापारा-राजिम अस्तित्व में आ जाएगा। आज राजस्व विभाजन के चलते दोनो शहर अलग-अलग हो गया है। वैसे यह क्षेत्र धार्मिक, सामाजिक,पर्यटक और आद्योगिक क्षेत्र है। जिला बनने से विकास की सम्भावनाएं बढ़ जाएगी ।

पूर्व सांसद चंदूलाल साहू ने कहा कि प्रदेश में नए जिला का पुनर्गठन लगातार हो रहा है तो अपना राजिम और नवापारा इससे अछुता नही रहना चाहिए। दोनो शहर को मिलाकर बहुत आराम के साथ जिला बनाया जा सकता है। जिला बनने से जहां लोगो को समय ,दूरी और पैसे की बचत होगी, वहीं विकास के नए आयाम स्थापित होंगे। युवाओं को रोजगार मिलेगा। शहर के व्यापार, व्यवसाय बढेंगे।

”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

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