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Chhattisgarh

बंजारी धाम चोरभट्टी में होती है मन्नत पूरी:पौष पूर्णिमा पर हुआ शानदार मड़ाई मेला,दर्शन एवं मेला भ्रमण के लिए प्रदेश भर से लोग बड़ी संख्या में पहुंचे

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम । शहर से 65 किलोमीटर एवं राजधानी रायपुर से 60 किलोमीटर की दूरी पर तहसील मुख्यालय आरंग के ग्राम पंचायत चोरभट्टी में पौष पूर्णिमा के अवसर पर शानदार मड़ई मेला का कार्यक्रम संपन्न हुआ। जिसमें प्रदेशभर से लोग पहुंचकर आदिशक्ति मां बंजारी के दर्शन किए तथा मड़ई मेला भ्रमण कर लुफ्त उठाया। सुबह से ही लोगों का आना शुरू हो गया था वैसे दुकानें एक दिन पहले ही आ गए थे। एक और दर्शनार्थी बंजारी धाम के दर्शन कर रहे थे तो दूसरी ओर परिवार के साथ पहुंचे लोगों ने मेला का घूम घूम कर खुब मजा लुटे। किसी ने मिर्ची भजिया, आलू गुंडा, समोसा, बड़ा, जलेबी, खोवा मिठाई तो किसी ने रयचुली झूलकर प्रसन्नता जाहिर की। छोटे बच्चे अपनी पलकों को खिलौना खरीदने के लिए जीद करते हुए दिखें। क्षेत्र के लिए यह बंजारी धाम चोरभट्टी वरदान बन गया है। बताना जरूरी है कि सन् 1983 से लगातार पौष पूर्णिमा के दिन एक दिवसीय मड़ई मेला का आयोजन होता है। निर्बाध रूप से पिछले 39 सालों से लोगों की आस्था इस धरा से जुड़ी हुई है इसकी महत्ता बताते हुए गांव के बुजुर्ग विष्णु प्रसाद वर्मा ने बताया कि यहां पर पहले बहेरा का पेड़ हुआ करते थे। जिसके समीप जाकर लोग मन्नत मांगते और वह पूरी हो जाती थी जिनमें प्रमुख रूप से जानवर गुमने पर माता के पास आकर निवेदन मात्र करना पड़ता था और बंजारी माता की कृपा से शीघ्र मिल जाते। आज भी लोग यहां बदना बधते हैं। दुखियारी दंपत्ति के द्वारा संतान की कामना को लेकर मनोकामना की पूर्ति के लिए गुहार लगाते हैं तो माता उन्हें शीघ्र पूरा कर देती है। मनोकामना पूरी होने पर लोगों की श्रद्धा बढ़ती गई और यहां सीमेंट से माता की मूर्ति को आकार दिया गया। पेड़ के नीचे करीब साढ़े तीन फीट ऊंची बंजारी माता की प्रतिमा अत्यंत मनमोहिनी है। भक्तगण यहां नारियल, धूप, अगरबत्ती आदि चढ़ा जाते हैं। वर्मा ने बताया कि उनके भी कोई संतान नहीं थे वह बहुत दुखी था थक हारकर माता के पास आकर निवेदन किया और उनके साल भर बाद उन्हें संतान की प्राप्ति हो गई और अब उनके तीन संतान हैं तथा परिवार खुशहाल है। चकवे के पूर्व सरपंच शत्रुघ्न लाल साहू ने बताया कि पहले साल यहां मात्र दो मनोकामना ज्योति कलश प्रज्जवलित हुए। उसके बाद 3,5, 12,53 होने के बाद मंदिर समिति का गठन किया गया। समिति में 12 सदस्य है इनमें ग्राम चोरभट्टी, कोरासी, चकवे एवं सकरी चार गांव के लोग सम्मिलित है। मंदिर ट्रस्ट का पंजीयन भी हुआ है। कोरासी के संतराम देवांगन ने बताया कि वर्तमान में दोनों नवरात्र पर्व पर मनोकामना ज्योति कलश प्रचलित की जाती है। संख्या बढ़ते हुए 300 से भी अधिक कलश प्रति दोनों नवरात्र में जलते हैं उनसे जो पैसा बचता है उसी से ही परिसर का विकास हो रहा है। शासन प्रशासन के द्वारा अभी तक एक भी रुपए नहीं दिया गया है। सरकार चाहे तो इन्हें पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा सकता है यह श्रद्धा का केंद्र है। हजारों लोग हर वर्ष माता के चरणों में शीश झुकाने के लिए आते हैं। अनेक चमत्कारिक घटनाएं इस स्थल से जुड़ी हुई है जिनकी बखान करते हुए यहां के लोग थकते नहीं हैं।

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