पुनर्विवाह के लिए जीवन साथी तलाशने महिला, पुरुषों की भीड़ उमड़ी…

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”वैभव चौधरी की रिपोर्ट”

रायपुर/धमतरी। स्टार रिकॉर्ड बुक ऑफ इंटरनेशनल से सम्मानित राजधानी की बहुचर्चित सामाजिक संस्था “रायपुर ब्राइट फाउंडेशन” की ओर से रविवार को पुरानी बस्ती स्थित महामाया मंदिर के सत्संग भवन हाल में सभी जाति, धर्म व संप्रदाय की सभी उम्र की विधवा, विधुर व वैध तलाकशुदा प्राप्त महिला/ पुरुषों के पुनर्विवाह के लिए परिचय सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसमें 538 प्रतिभागियों ने हिस्सा लेकर पुनः अपनी गृहस्थी बसाने परिचय दिया। कार्यक्रम के दौरान 12 जोड़े मंच पर ही तय हो गए जबकि 108 प्रतिभागियों के बीच रिश्तो की बातचीत आगे बढ़ी है।
फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रदीप गोविंद शितूत, महासचिव डॉ. मनोज ठाकुर एवं प्रवक्ता चेतन चंदेल ने बताया कि कार्यक्रम में बेसहारा व एकाकीपन का जीवन जीने मजबूर ऐसे सभी लोगों के अंधकार भरी जिंदगी में खुशियों की बहार लाने उन्हें मंच प्रदान कर एक दूसरे से रूबरू करवाया गया।
सम्मेलन में महिला, पुरुषों ने सुनाई अपनी व्यथा…
परिचय देते समय कई विधवा महिलाऐ अपने छोटे बच्चों को साथ लेकर मंच पर आई फिर उन्होंने रूंधे गले में कहा कि पति के गुजर जाने के बाद जीवन अधूरा सा लगने लगा था, बच्चों की चिन्ता सताने लगी थी,सहारे की कमी महसूस होती है।तो वंही अपनी जीवन संगिनी से हमेशा के लिए दूर हो चुके विधुर पुरुषों ने कहा कि घर में पत्नी की जरूरत सबसे ज्यादा बुढ़ापे में पडती है इसलिए पुनर्विवाह करना चाहते हैं।  पुरुषों में 75 साल के भी वयोवृद्धो ने भाग लेकर अपना परिचय दिया। तलाकशुदा प्रतिभागियों ने कहा कि घर परिवार व समाज से लेकर न्यायालय तक के सफर में तलाक के कारण जीवन की आधी उम्र समाप्त हो गई है सिर्फ तनाव बना हुआ है इसलिए नया जीवन साथी चुनना चाहते हैं।
काउंसलिंग का मिला लाभ..
फाउंडेशन की महिलाएं आज दिन भर दोनों पक्षों के बीच रिश्ता कायम कराने काउंसलिंग करती रही। एक .दूसरे को पसंद कर रहे प्रतिभागियों व उनके परिजनों के बीच सामंजस्य स्थापित करने के बाद 120 महिला/ पुरुषों के बीच रिश्तों की बातचीत आगे बढ़ गई है ।
सहनशक्ति की होती है परीक्षा.. आज दुख तो कल सुख- शकुन डहरिया
मुख्य अतिथि प्रदेश के नगरीय प्रशासन एवं श्रम मंत्री डॉ. शिवकुमार डहरिया की धर्मपत्नी शकुन डहरिया ने कहा कि वैवाहिक जीवन को सफल बनाने में सहनशक्ति की परीक्षा होती है इसलिए धैर्यता बनाए रखना चाहिए। हम तकलीफ में ही आगे बढ़ते हैं आज दुख है तो कल सुख भी आएगा।कार्यक्रम को गुरु घासीदास साहित्य एवं संस्कृति अकादमी के अध्यक्ष के.पी. खण्डे, डॉ. जे.आर. सोनी, समाजसेवी राजकुमार राठी, अशोक नारायण गुप्ता , लक्ष्मीनारायण लाहोटी व डॉ संदीप धुप्पड ,नितिन शर्मा ने भी ने भी संबोधित किया।इस अवसर पर संस्था के अध्यक्ष प्रदीप गोविंद शितूत, डॉ. मनोज ठाकुर ,चेतन चंदेल, किशोर जायसवाल, अंटू ठाकुर ,बिहारी लाल शर्मा, दीपक ठाकुर, राजेंद्र सवैया, पारस सोनी, अंजलि शीतूत, राधा राजपाल, दमयंती देशपांडे ,गौरी अवधिया, अनघा करकसे, अन्नपूर्णा शर्मा, माधुरी बोरकर ,मंजू यादव, प्रीति ठाकुर, अनुराधा चौधरी ,डॉ. सरिता दोशी, जानकी गुप्ता,गौरव लोहाना ,ऋचा ठाकुर, भावना राठी ,नीता डुमरे, दीपाली धर, सुषमा ध्रुव ,शशि शर्मा, रश्मि राव दुर्गा गेंदले सहित सैकड़ों की संख्या में प्रतिभागी व उनके परिजन मौजूद थे।

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