अल्टाट्रेक सिमेंट उद्योग की मनमानी व औद्योगिक गाईडलाइन के विपरित रवैया से प्रभावित गोद ग्रामो में आक्रोश

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तिल्दा-नेवरा। क्षेत्र में संचालित एक ऐसा सिमेंट उद्योग जो महज प्रभावित गोद ग्राम माने जाने वाले क्षेत्रवासियों को ग्राम विकास को लेकर सुविधा देने के बजाय अनवरत उनका शोषण करने में लिप्त हो तो भला उनसे जनहितैषी कार्यो में संलग्नता की अपेक्षा करना बेमानी होगी । मामला क्षेत्र में संचालित अल्टाट्रेक सिमेंट उद्योग की है जिन्हे पूर्व में सेंचुरी सिमेंट के नाम से जाना जाता था इनके गोद लिये हुए प्रभावित गांवो के प्रति असहयोगात्मक रवैया व मनमानी से आश्रित ग्रामो में आक्रोश ब्याप्त है जो चिंगारी के रूप में सुलग रही है समय रहते इन पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया तो भविष्य में कभी भी विस्फोटक ज्वालामुखी के रूप में उभर कर सामने आवेगी।इस उद्योग से प्रभावित गोद लिये ग्राम टण्डवा,किरना, हथबंद, कुंदरू, बहेसर जैसे विभिन्न गांव है जो इस उद्योग के मनमानी व शोषण के शिकार हुए हैं इन ग्रामो में औद्योगिक गाईडलाइन के तहत न ही ग्राम विकास में हाथ बंटाया जाता और न ही किसी अन्य किसी भी तरह से सहयोगात्मक रवैया अपनायी जाती इसके विपरित इस उद्योग के द्वारा गोद लिए हुए गांवों पर मनमानी व शोषण किया जाता है गोद ग्राम टंण्डवा जिनका अब तक ग्राम विकास के मामले पर इस उद्योग से कोई सारोकार नहीं रहा है मामला चाहे सी एस आर की हो या फिर अन्य मद की मामले हो इनसे गोद ग्राम हमेशा से उपेक्षित रहा है बल्कि कथित उद्योग हमेशा से गोद ग्रामो का दोहन ही करते आ रहा है । सैकड़ों हेक्टेयर गोद ग्रामो की ज़मीनो पर इस उद्योग का अवैधानिक रूप से कब्ज़ा रहा है बतौर उदाहरण ग्राम टंण्डवा पर ही दृष्टिगत किया जावे जो इस उद्योग की शोषण से कराह रही है उद्योग विस्तार के नाम पर शासकीय भूमियो पर अवैध कब्जा करना मानो इनकी स्वभाविक प्रवित्ती है जिनके चलते गांवों में चारागाह की समस्या आन पड़ी है गांव के गांव चारागाह जैसे विकट समस्या से जूझ रहे हैं ।गोद ग्रामो में बुनियादी सुविधाओं का अभाव है बिजली,सडक, नाली, पानी जैसे मूलभूत सुविधाओं के लिए मोहताज इन जैसे गोद ग्रामो को अल्टाट्रेक सिमेंट सीधी नजर से भी नहीं देखती भला इनसे विकास की गंगा बहाने की अपेक्षा करना तो मानो कोरी कल्पना है ।

“शैलेश राजपूत की रिपोर्ट”

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