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सक्रांति पर संगम में करेंगे श्रद्धालु पुण्य स्नान

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। पौष शुक्ल द्वादश दिन शुक्रवार 14 जनवरी को रात्रि 8:00 बजकर 59 मिनट और रोहिणी नक्षत्र एवं वृष राशि पर मकर सक्रांति है। सूर्यदेव जब मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर सक्रांति कहलाती है। सक्रांति का पुण्यकाल दूसरे दिन अर्थात 15 जनवरी दिन शनिवार को सूर्योदय से दोपहर 12:00 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। भगवताचार्य पंडित देवेंद्र तिवारी ने बताया कि इस वर्ष सक्रांति का आगमन कन्या के रूप में बाघ पर सवार गदा लिए हुए पीले वस्त्रों में हो रहा है। मुहूर्त फल के अनुसार अनाज मूल्य में गिरावट के संकेत है। पशुपालक एवं तत संबंधी उत्पादकों को लाभकारी है तथा ब्राह्मणों एवं बुद्धिजीवियों को सुख कारी रहेगा। पंडित तिवारी ने बताया कि राशिफल के अनुसार मेष – हानि, कर्क- धन लाभ, तुला- यश, मकर- धर्मलाभ, वृष-शुभ, सिंह – कलह, वृश्चिक- सम्मान, कुंभ- सिद्धि, मिथुन – संतोष, कन्या- ज्ञान वृद्धि, धनु-भय, मीन जय लाभ।मकर सक्रांति के साथ ही सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं। इनका मतलब समझाते हुए कहा कि उत्तरायण अर्थात (उत्तर +आयन) का शाब्दिक अर्थ है उत्तर में गमन। जब सूर्य की दशा उत्तरायण है तब क्षितिज पर यदि सूर्योदय होने के बिंदु को प्रतिदिन देखा जाए तो वह बिंदु धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ता प्रतीत होगा। इसी प्रकार दिन के समय सूर्य के उच्चतम बिंदु को यदि दैनिक तौर पर देखा जाए तो उत्तरायण के दौरान वह बिंदु हर दिन उत्तर की ओर बढ़ता हुआ जाता है उत्तरायण की दशा में पृथ्वी के उत्तरी गोलार्ध में दिन लंबे हो जाते हैं और रात छोटी होती है। उत्तरायण का आरंभ 14 जनवरी को होता है यह दशा 21 जून तक रहती है इस दिन अयनांत की स्थिति आती है उसके बाद दक्षिणायन प्रारंभ होता है जिसमें दिन छोटी और रात लंबी हो जाती है। उल्लेखनीय है कि मकर सक्रांति के पुण्य काल में बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण त्रिवेणी संगम में स्नान करने के लिए उपस्थित होते हैं और स्नान दान पूजन के पश्चात देव दर्शन करते हैं। यहां के प्रसिद्ध भगवान विष्णु का मंदिर राजीवलोचन तथा भगवान शिव का मंदिर कुलेश्वर नाथ महादेव में दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। श्रद्धालुगण स्नान के पश्चात दीपदान भी करते हैं।

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