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राजीव भवन में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह शहादत दिवस गरिमा व सादगी के साथ मनाई गई

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“सुभाष रतनपाल की रिपोर्ट”

जगदलपुर/बस्तर। जिला कांग्रेस कमेटी शहर द्वारा शुक्रवार राजीव भवन में छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह की शहादत पर छाया चित्र में माल्यार्पण कर उन्हें याद किया और भावभिनी श्रद्धांजलि दी।
जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष राजीव शर्मा ने उनकी जीवनी पर प्रकाश डालते बताया कि नारायण सिंह का जन्म सन् 1795 में सोनाखान के जमींदार रामसाय के घर में हुआ था. वे बिंझवार आदिवासी समुदाय के थे. उनके पिता ने 1818-19 के दौरान अंग्रेजों और भोंसले राजाओं के विरुद्ध तलवार उठाई थी. लेकिन कैप्टन मैक्सन ने विद्रोह को दबा दिया. इसके बाद भी बिंझवार आदिवासियों के सामर्थ्य और संगठित शक्ति के कारण जमींदार रामसाय का सोनाखान क्षेत्र में दबदबा बना रहा. बाद में अंग्रेजों ने उनसे संधि कर ली थी. देशभक्ति और निडरता वीर नारायण सिंह को पिता से विरासत में मिली थी. पिता की मृत्यु के बाद 1830 में वे सोनाखान के जमींदार बने. 1854 में अंग्रेजों ने नए ढंग से टकोली लागू की, इसे जनविरोधी बताते हुए वीर नारायण सिंह ने इसका विरोध किया. जिसके बाद रायपुर के तात्कालीन डिप्टी कमिश्नर इलियट उनके घोर विरोधी हो गए.जमींदार परिवार में जन्म लेने वाले शहीद वीर नारायण चाहते तो अंग्रेजों के राज में आराम की जिंदगी गुजार सकते थे. लेकिन उन्होंने आजादी को चुना और लड़ते-लड़ते शहीद हो गए. उनकी शहादत स्थल पर ही जय स्तंभ नाम का स्मारक बनवाया गया।
महापौर सफीरा साहू ने कहा कि 10 दिसंबर 1857 को ब्रिटिश सरकार ने छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम सेनानी वीर नारायण सिंह को सरेआम तोप से उड़ा दिया था. उनकी शहादत को पूरा देश याद करता है. सैकड़ों स्वतंत्रता सेनानियों के सालों के संघर्ष और बलिदान के बाद आज हम स्वतंत्र हैं. देश की आजादी के लिए अपनी जान देने वालों में एक नाम छत्तीसगढ़ के शहीद वीर नारायण सिंह का भी आता है. वीर नारायण सिंह ने अंग्रेजों से हमारी आजादी के लिए लड़ाई लड़ी थी. उनके बारे में एक किस्सा जो आज भी लोग याद करते हैं. उन्होंने जमींदारों से अनाज लूटकर गरीबों में बंटवा दिया था. 500 आदिवासियों की फौज बनाकर अंग्रेजों की सेना से भिड़ गए थे. छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी शहीद वीर नारयण जी को शत् शत् नमन करती हूं।
जिला कांग्रेस कमेटी के महामन्त्री (प्रशासन) अनवर खान ने बताया कि शहीद वीर नारायण सिंह की निशानी आज भी विराजमान है छत्तीसगढ़ के प्रथम स्वतन्त्रता सेनानी शहीद वीर नारायण सिंह अंग्रेजों से लड़ने के लिए तलवार, भाला, गदा और कटार का उपयोग करते थे जो आज भी सोनाखान से 7 किलोमीटर दूर घने जंगलों के बीच एक गुफा में सुरक्षित रखा हुआ है. गुफा में 200 साल पुरानी एक भगवान की मूर्ति भी है. जिसकी पूजा वीर नारायण सिंह और उनके पूर्वज करते थे. मान्यता है कि आज भी शहीद के कुलदेवता उनके हथियारों की रक्षा करते हैं।
कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ कांग्रेसी सतपाल शर्मा ने किया कार्यक्रम के अंत में तमिलनाडु में हेलीकाप्टर हादसे में शहीद सीडीएस जनरल बिपिन रावत व उनकी पत्नी सहित 11 सैन्य अफसर एवं कर्मी की आत्मा की शांति के लिये 2 मिनट का मौंन धारण कर श्रद्धांजलि देकर शोकाकुल परिवार के प्रति सांत्वना व्यक्त की गई।
यह रहे मौजूद…
माधुरी शर्मा,अपर्णा बाजपई, कौशल नागवंशी, हरीश साहू, छबिश्याम तिवारी, जोहन सूता, हरिशंकर सिंह, राकेश मौर्य, मोईन अख्तर, पूरन ठाकुर, शहनवाज़ खान, अंकित सिंह, मनोज ठाकुर,एम वेंकट राव,उमेश सेठिया, महेश ठाकुर,एस दन्तेश्वर राव,बेनी फर्नांडिश, सुंदर मणी, राजकुमार सेठिया, अरूपानन्द सहित कांग्रेस के समस्त कार्यकर्तागण उपस्थित रहे।

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