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मस्कुलर डिस्ट्रॉफी बीमारी से पीड़ित नमन के पिता ने लगाई इलाज की गुहार

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राजिम ।सनातन हिन्दू धर्म मे सन्तान को कुलदीपक कहा गया है। माता पिता अपने सन्तान की परवरिश बड़े लाड़ प्यार से करते है लेकिन माँ बाप के सामने उसका कुलदीपक असहाय हो जाये तो वह दिन देखना शायद माँ की ममता और पिता के प्यार के लिए किसी बड़ी परीक्षा से कम नही है। उल्लेखनीय है कि राजिम तहसील मुख्यालय से 17 किमी दूर ग्राम खुटेरी के पुनीत राम साहू के 10 वर्षीय पुत्र नमन कुमार साहू विगत 6 सालों से मासवाद (मस्कुलर डिस्ट्रॉफी) की गम्भीर बीमारी से पीड़ित है।
पिता पुनीत राम साहू ने बताया कि अपने स्तर तक जितना हो सकें जहां तक इलाज सम्भव हो पाए प्रयास कर रहे है। हमारी आर्थिक स्थिति इतनी मजबूत नही है कि हम उच्च स्वास्थ्य सेवा बच्चे को दिला सकें। राजधानी रायपुर के बालाजी, एम एम आई जैसे माहंगी हॉस्पिटलों में भी इलाज के लिए ले गए लेकिन सुधार कहीं भी नहीं हुआ और तो और डॉक्टरों ने बताया कि इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है। करोड़ों बच्चे में एकात को ऐसी बीमारी होती है। इनके इलाज में घर में जो कुछ थे सब कुछ समाप्त हो गए। अब आर्थिक स्थिति पूरी तरह से डगमगा गई है। मां आंगनबाड़ी में काम करती हैं तो पिता स्कूल में अंशकालीन सफाई कर्मचारी है जिसका मासिक वेतन महज 2000 हजार रुपये है। आज के महंगाई के इस जमाने में ₹2600 खाद्य तेल टीन की कीमत है। परिवार के लिए सरकारी चावल तो मिल जाते हैं जिसे पकाकर खा लेते हैं लेकिन इनके साथ सब्जी भी खाने की आवश्यकता होती है सब्जी के लिए मोटी रकम खर्च करना पड़ता है। उनके लिए इंधन, तेल, नमक, मसाला, दाल सहित अनेक सामग्री की जरूरत होती है। पुनीत राम के एक बेटी भी है जिनकी उम्र 13 साल है इस तरह से इनके परिवार में चार लोग हैं। दैनिक दिनचर्या के अनुसार कम से कम प्रति माह ₹6000 की आवश्यकता है लेकिन पिता मात्र ₹2000 कमा रहे हैं ऐसे में जीवन की गाड़ी कैसे चला रहे हैं पुनीत राम ही जानें। ऊपर से पुत्र नमन के इलाज का खर्चा। ऐसा नहीं है कि पिता चुपचाप बैठे हुए हैं जब इनसे संपर्क हुआ तो जिला मुख्यालय गरियाबंद में जनदर्शन में इनके इलाज की गुहार लगाने के लिए जाने वाले थे परंतु जेब में पैसा नहीं था जिसके कारण जाने के लिए गाड़ी की जुगाड़ नहीं कर पाए और जनदर्शन में जाना कैंसिल हो गया। पिता पुनीत राम स्नातकोत्तर किया हुआ है। वह पहले हाईस्कूल में वैकल्पिक शिक्षक के रूप में पढ़ा रहे थे परंतु नए शिक्षक आ जाने के कारण इन्हें नौकरी से निकाल दिया गया। काम की तलाश में दर दर भटकते रहे परंतु कहीं भी काम नहीं मिला अंत में इन्होंने स्कूल की ही सफाई करने की ठान ली। इस कार्य मैं उसे जितनी मेहनत आना मिलती है उसी से वह अपने व परिवार का गुजारा करते है। पुनीत राम ने बताया कि वह इलाज के लिए क्षेत्रीय नेताओं से लेकर विधायक से भी गुहार लगाई लेकिन किसी ने सहायता नहीं की अब वह थक हार चुके हैं फिर भी उनका मन नहीं मान रहा है और वह अभी भी इलाज के लिए हर संभव प्रयास करना चाह रहे हैं क्योंकि उनके दो संतान में से एक ही पुत्र है और पुत्र की यह स्थिति देखकर वह खुद पीड़ित हो जाते हैं।
नमन की बीमारी के कारण उसका मासपेशी काम करना बंद होते जा रहा है जमीन से उठ नही पाता। शरीर की हड्डियां बाहर दिखने जैसी स्थिति हो गई है। जिसके कारण उनके दिनचर्या के सभी काम बहुत मुश्किल से हो रहा है। नमन कक्षा चौथी का छात्र है उसे स्कूल उठा कर ले जाना पड़ता है। जब वह चार साल के थे तो पूरी तरह से स्वस्थ और आम बच्चे की तरह खेलते कूदते थे परंतु धीरे-धीरे इस बीमारी ने उन्हें पूरी तरह से जकड़ लिया है। नमन को अभी तक शासन से किसी भी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता, पेंशन, छात्रवृत्ति आदि नहीं मिला है जिसके कारण उसके पोषण दवाई आदि का खर्चा में परिवार को बहुत ही परेशानियो का सामना करना पड़ रहा है।
पुनीत का कहना है कि मेरा बच्चा भी दूसरे बच्चों की तरह चले दौड़े खेले मेरा शासन से यही आस है कि उन्हें उच्चस्तरीय ईलाज मिल सकें व उनके अच्छे पोषण के लिए आर्थिक सहयोग मिले। 3 दिन पहले फिंगेश्वर स्वास्थ्य केंद्र से चिरायु टीम के लोग आए थे वह बातचीत किए उसके बाद चले गए।
क्या है मस्कुलर डिस्ट्रॉफी
जानकारी के मुताबिक मस्कुलर डिस्ट्रॉफी को मांसपेशी दूर्विकास के नाम से भी जाना जाता है। यह कमजोरी बढ़ने और मांसपेशियों में कमी का कारण है पेशी अपविकास, असामान्य जीन (म्यूटेशन) के कारण मांसपेशी का अघ:पतन होता है अधिकांशतः यह बचपन में शुरू होता है। इलाज से लाभ हो सकता है लेकिन इसे ठीक नहीं किया जा सकता। डॉक्टर से जांच कराना जरूरी होता है प्रयोगशाला परीक्षणों या इमेजिंग की अक्सर आवश्यकता होती है।

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