बेखौफ होकर तेज रफ्तार से चला रहे है नाबालिग वाहन,टैफिक अमला सुस्त
धमतरी। अनियंत्रित वाहनों की तेज रफ्तार और बिना किसी ट्यूनिंग के सड़कों पर वाहन चला रहे ड्राइवरों के कारण क्षेत्र में दुर्घटनाओं में काफी इजाफा हो रहा है। स्पीड की चाहत और ओवरटेक करने के कारण बीते एक वर्ष में कई जानें जा चुकीं है, जिनमे अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनका उन दुर्घटना में कोई कुसूर भी नहीं था पर वाहन चालकों की लापरवाही और प्रशासनिक उदासीनता के चलते आए दिन लोगों को अपनी ज़िंदगी से हाथ धोना पड़ रहा है।
इन चालकों में कई ऐसे भी है जिन्हे न तो ट्रैफिक नियमों की जानकारी है और न ही इन्होंने किसी तरह की परीक्षा पास की है। सड़कों पर चल रहे कई ऐसे ड्राइवर है जिनके पास न तो वाहन चलाने का लाइसेंस है, और न ही वाहन चलाने की कोई जानकारी है। जल्द से जल्द लाइसेंस पाने की होड़ में कई युवक लाइसेंस बनवाने के लिए जरूरी प्रक्रिया और टेस्ट परीक्षाओं के बिना ही आसानी से वाहन चलाने का अधिकार प्राप्त कर ले रहे है।
आरटीओ व यातायात विभाग भी है ज़िम्मेदार
शहर व ज़िले में ऐसे बहुत से वाहन चालक बेधड़क सड़कों में वाहन दौड़ा रहे हैं जिनके पास ड्राइविंग लाइसेंस नही है, जिस ओर न ही पुलिस ध्यान दे रही और न ही आरटीओ विभाग। अगर कोई पुलिस चेकिंग में पकड़ा भी जाता है तो 100-200 देकर चलता बनता है, और ये ही एक वजह बनती सड़क दुर्घटनाओं की। यदि यातायात व आरटीओ विभाग ईमानदारी से अपनी ड्यूटी निभाएं तो बहुत से नौसिखिए ड्राइवर गाड़ी चलाने से पहले 100 बार सोचेंगे।
कम उम्र के बच्चे भी चला रहे हैं बाइक
बाइक चलाने का शौक वैसे तो हर युवा को होता है पर थोड़ी सी लापरवाही और अभिभावकों की अनदेखी के कारण कम उम्र के बच्चों के हाथ में भी बाइक आ जाती है। 12 से 15 वर्ष के उम्र के ऐसे कई बच्चे सड़कों पर खुलेआम मोटर सायकल चलाते हुए देखे जा सकते है। अभिभावकों में जागरूकता का अभाव कई बार मासूमों के जान को खतरे में डाल देता है और कई मामलों में तेज रफ्तार में बाइक चला रहे छोटे बच्चे हादसों का शिकार भी हो चुके हैं। ऐसे में जिम्मेवारी न सिर्फ प्रशासन की बनती है बल्कि अभिभावकों को भी इस विषय पर गंभीरता से सोचना चाहिए।
वहीं इन दिनों ये भी देखा जा रहा है कि कम उम्र के बच्चे एक बाइक में 3-4 लोग लहराते हुए शहर में बेधड़क घूम रहे हैं वही स्कूल खोलने के साथ ही नाबालिग बच्चें वाहन चला कर स्कूल पहुँच रहे है,जिन्हें यातायात कर्मी भी नज़रअंदाज़ कर रहे हैं, जो इन बच्चों के भविष्य के लिए खतनाक साबित हो सकता है। तो चार पहिया वाहनों की सवारियों पर भी यातायात गंभीर नही है, रोज़ाना शहर की सड़कों से होकर सैकड़ों चार पहिया यात्री वाहन गुज़रते हैं जिनमे क्षमता से अधिक लोग बैठे होते हैं, यदि इस पर भी यातायात पुलिस सख्ती दिखाए तो हालात कुछ हद तक सुधर सकते हैं।