लफंदी के औघड़नाथ महादेव दर्शन के लिए पंचकोशी यात्रियों का लगा तांता
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। मंगलवार को पंचकोशी यात्री कोपरा स्थित कर्पूरेश्वरनाथ महादेव में पांचवा पड़ाव के बाद सीधे लफंदी स्थित औघड़नाथ नाथ महादेव के दर्शन पूजन के लिए उपस्थित हुए। जगह-जगह यात्रियों का स्वागत पुष्प भेंटकर किया गया। सुरसाबांधा, श्यामनगर धूमा होते हुए लफंदी ग्राम पहुंचे। यात्रियों के द्वारा पंचकोशी धाम की जयकारा हो रही थी। लोग हर हर महादेव के जयघोष पर हाथ ऊपर कर श्रद्धा समर्पित कर रहे थे। पिछले साल कोरोना काल के कारण पंचकोशी यात्राएं नहीं आई थी परंतु इस बार उनके आगमन को देखकर गांव वाले बहुत प्रसन्न हो गए। दर्शन पूजन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालुगण उपस्थित हुए। यात्रियों के साथ ही आसपास के गांव के लोग बड़ी संख्या में आए हुए थे। बताना जरूरी है कि यहां यात्रा की अपनी अलग मान्यता है। लिंग पुराण में बताया गया है कि पैदल यात्रा सबसे उत्तम है। पंचकोशी यात्रा पैदल ही किया जाता है हालांकि कुछ श्रद्धालु अपने रोजमर्रा के सामान के लिए साइकिल का उपयोग करते हैं लेकिन रास्ते भर पैदल चलते रहते हैं।पीपल पेड़ के जड़ निकले औघड़नाथ महादेवउल्लेखनीय है कि पीपल पेड़ के जड़ से स्वयंभू शिवलिंग औघड़नाथ निकले हुए हैं। पहले इनका स्वरूप छोटा था लेकिन धीरे-धीरे निरंतर आकार बढ़ रहा है। गोलाकार शिवलिंग में अर्धनारीश्वर का रूप है। वेदी पर मां पार्वती तथा दाहिने ओर गणेश विराजमान है। विशाल पीपल पेड़ से संलग्न मंदिर बनाया गया है। परिक्रमा पथ के लिए स्थान दिया गया है। पूजन सामानों से महादेव का स्थल पट गया था। श्रद्धालुओं ने बड़ी संख्या में जलाभिषेक किए। इस मौके पर पंचकोशी यात्रा के मार्गदर्शक पंचकोशी पीठाधीश्वर सिद्धेश्वरानंद महाराज ने बताया कि यह शिव का धाम है और शिव जी निष्काम हृदय तथा सरल स्वभाव के हैं इन्हें प्रसन्न करने के लिए तप जप करने की आवश्यकता नहीं है बल्कि मन में श्रद्धा होनी जरूरी है वह अपने भक्तों पर अपार कृपा बरसाते हैं। मैं खुद 1984 से पंचकोशी यात्रा कर रहा हूं। यह यात्रा दिव्य है प्रत्येक मनुष्य को इसका लाभ लेना चाहिए।इस मौके पर जिला पंचायत सदस्य चंद्रशेखर साहू ने दर्शन पूजन के उपरांत कहा कि यह हमारी आस्था का केंद्र है शिव के शरण में आकर भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो रही है जिसका जीता जागता उदाहरण हजारों की संख्या में दिख रहे श्रद्धालु है। हम खुद यहां दर्शन करके कृतार्थ हो गए। सौभाग्य है कि हमारा जन्म कमलक्षेत्र में हुआ है। भक्तों के दर्शन से ही भगवान की प्राप्ति होती है। भाजपा जिला गरियाबंद के पूर्व अध्यक्ष डॉ रामकुमार साहू ने कहा कि पंचकोसी परिक्रमा की परंपरा वैदिक काल से चली आ रही है। यहां श्रद्धा का सैलाब देखने को मिल रहा है। पंचकोसी परिक्रमा में सभी पांचों शिवपीठ पांच पांच कोस की दूरी पर विराजमान है। पैदल चलने से श्रद्धालुओं के पांव में छाले तक पड़ जाते हैं लेकिन धीरे-धीरे ही सही शिव के धाम पहुंचकर अपनी श्रद्धा सुमन जरूर समर्पित करते हैं। भाजपा मंडल अध्यक्ष कमल सिन्हा ने बताया कि भजन कीर्तन से माहौल भक्तिमय है यह भगवान राजीवलोचन एवं भोलेनाथ की कृपा है। सचमुच में कमलक्षेत्र श्रद्धा का धाम है। उपसरपंच नेहरु साहू, मनोज देवांगन,लालजी साहू, सियाराम साहू सहित अनेक गणमान्य लोग बड़ी संख्या में उपस्थित हुए।बुधवार को सुबह पद्म सरोवर में स्नान करेंगे पंचकोशी यात्रीएक रात्रि लफंदी आश्रम में ठहरने के बाद सुबह से ही यात्री प्रयाग नगरी राजिम के लिए निकल जाएंगे। वह सबसे पहले चौबेबांधा मार्ग पर स्थित पद्मा सरोवर में स्नान करेंगे। इस सरोवर में स्नान करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है। बताया जाता है कि सारे दुख दर्द स्नान करने से ही मिट जाते हैं। किवदंती है कि राजा रत्नाकर ने यज्ञ किया तो उन्हें आसुरी शक्तियां परेशान कर रही थी इतने पर उन्होंने भगवान विष्णु को स्मरण किया जिस समय उन्होंने हाथी को ग्राहा के चंगुल से छुड़ाया। इधर राजा रत्नाकर की आवाज उनके कानों तक पड़ी वह जिस स्थिति में थे तुरंत चले आए और आसुरी शक्तियों को समाप्त कर उनके यज्ञ को सफल बनाया। भगवान विष्णु प्रसन्न हो गए और उनसे वरदान मांगने के लिए कहा तब उन्होंने दो वरदान प्राप्त कर लिया पहला राजिम में ही विराजमान होने की और दूसरा मेरे आने वाली पीढ़ी ही आपके पूजा अर्चना करते रहने की। इस पद्म सरोवर को यज्ञ कुंड माना गया है। मान्यता है कि यहां स्नान करने से ही यात्रियों को स्वास्थ्य लाभ मिलता है।कुलेश्वर नाथ महादेव में आज करेंगे पूजा अर्चनास्नान के बाद सीधे यात्रीगण कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर प्रांगण पहुंचेंगे वहां पूजा-अर्चना करेंगे महादेव का जलाभिषेक करेंगे और भजन कीर्तन के साथ भक्ति रस में खो जाएंगे। उसके बाद 19 जनवरी को पूजन अर्चन के साथ ही अपने-अपने घर गमन करेंगे।गुमा मोबाइल मिलाधूमा के एक श्रद्धालु का मोबाइल गुम गया। उन्होंने अपनी जेब को टटोला कहीं नहीं मिला जहां-जहां गए थे वहां वहां एक एक जगह को घूम घूम कर देखा लेकिन मोबाइल नजर नहीं आने से विचलित हो गया और वह रेडियो में एलाउंसमेंट करवाया। अंत में सीधे औघड़नाथ महादेव के पास जाकर प्रार्थना किया और मंदिर से जैसे ही निकला उनका मोबाइल उन्हें मिल गया। इसे चमत्कार मान कर लोग प्रसन्न हो गए।