प्रयाग साहित्य समिति की मासिक काव्य गोष्ठी में हुआ काव्य रसों का बरसात
राजिम । स्थानीय प्रयाग साहित्य समिति के द्वारा गायत्री मंदिर के गार्डन में काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति तहसील इकाई के अध्यक्ष अशोक शर्मा थे। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि साहित्य समाज का दर्पण है राजिम के कवि एवं साहित्यकारों ने जनमानस में एक अच्छी साहित्य को पिरोने का काम किया है। नतीजा पूरी दुनिया चाहे वह पुरुषोत्तम अनासक्त द्वारा रचित उपन्यास हो या फिर संत कवि पवन दीवान की कविताएं। वर्तमान में राजिम में तीन साहित्य समितियां है दिन के सदस्य साहित्य को आहार देने में तत्पर है। कार्यक्रम की अध्यक्षता अधिवक्ता टीकम साहू ने करते हुए कहा कि साहित्य में बोलना और लिखना दो अलग-अलग विधा है लेकिन राजिम के साहित्यकार बोलने में माहिर तो है ही लिखने में भी उस्ताद है। गीत कविता आलेख गजल कहानी लगातार यहां गढ़ी जा रही हैं। इसके लिए निश्चित ही बधाई के पात्र है। प्रयाग साहित्य समिति के अध्यक्ष टीकम सेन को उनके जन्मदिन पर बधाई दी तथा इस मौके पर उन्हें कलम, डायरी, रामचरित्र मानस ग्रंथ, वस्त्राभूषण आदि देकर सम्मानित किया गया। विशिष्ट अतिथि के रुप में उपस्थित गायत्री मंदिर के पुस्तकालय प्रभारी दीनबंधु साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि कवि जीवन की सच्चाई को उजागर करते हैं। वह जो देखते हैं वही लिखते हैं उनकी लेखनी में ताकत है वह चाहे तो समाज के स्वरूप को बदल सकता है इतिहास गवाह है एक अच्छे समाज के निर्माण में कवि एवं साहित्यकारों की भूमिका को नकारा नहीं जा सकता। चौबेबांधा से पहुंचे युवा कवि एवं साहित्यकार संतोष कुमार सोनकर मंडल के सफल संचालन में काव्य गोष्ठी का दौर शुरू हुआ जिसमें शायर जितेंद्र सुकुमार साहिर ने देश और ईश भक्ति पर केंद्रित रचनाएं सुनाई। पंक्ति देखिए- मुल्क अपना खुशहाल रहे राधे राधे, हर घर में रोटी दाल रहे राधे राधे ने सबका दिल जीत लिया सभी वाह- वाह कह उठे।
पांडुका के गीतकार पुरुषोत्तम चक्रधारी छत्तीसगढ़ी में रचना सुनाकर भाव विभोर कर दिया प्रस्तुत है कुछ अंश- तुंहर घर तेलई हमर घर बासी नूंन कका,फाटे करेजा ला थोकिन तहु तुन कका। कवियत्री सरोज कंसारी ने कलम की ताकत को सबसे बड़ा बताते हुए पंक्ति प्रस्तुत की-जज्बातों को अपनी स्याही से उतारो, अल्फाजों से सबके दिलों को छू लो। दकियानूसी रिवाजों को उखाड़ फेंको, लेखन को ही अपनी आवाज बना लो। संस्कार वीरेंद्र साहू की रचना ने देशभक्ति का जज्बा पैदा किया। प्रस्तुत है पंक्ति-औरों से जुदा अपनी शान रखता हूं, गिरवी ना अपना ईमान रखता हूं। तुम्हें जो भी रखना है रख लो यारों, मैं दिल में अपना हिंदुस्तान रखता हूं। हास्य कवि गोकुल सेन छत्तीसगढ़ी में रचना पढ़कर माहौल बदल दिया। कोपरा के फनेंद्र मोदी रचनाओं ने विसंगतियों पर करारा व्यंग्य किया। गीतकार टीकमचंद सेन के गीत ने मन मोह लिया। कवियत्री कल्याणी कंसारी ने मां सरस्वती की वंदना प्रस्तुत की।आभार प्रकट समिति के संरक्षक नूतन साहू ने किया। कौशल साहू, एकांत साहू, दुर्गा सेन आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे।
“संतोष कुमार सोनकर की रिपोर्ट”