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आवारा पशुओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया फैसला, पढ़िए क्या कहा…

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नई दिल्ली। आवारा पशुओं के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। जस्टिस विक्रम नाथ, संदीप मेहता और एनवी अंजारिया की संयुक्त बेंच ने तीन हिस्सों में अपना फैसला सुनाया है। उन्होंने अगली सुनवाई तक सभी राज्यों से रिपोर्ट मांगी है, जिसमें यह बताया जाएगा कि कमियों को दूर करने के लिए क्या किया गया है। दूसरे हिस्से में हाईवे से जानवरों को हटाने की बात कही गई है। तीसरे हिस्से में सभी सरकारी संस्थानों की फेंसिंग करने का आदेश दिया गया है।
जस्टिस मेहता ने कहा कि आदेश तीन हिस्सों में है। पहला हिस्सा कंप्लायंस यानी पालन से जुड़ा है। अमिकस की रिपोर्ट को कोर्ट ने अपने आदेश का हिस्सा माना है। कोर्ट ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से कहा है कि अगली तारीख से पहले वे एक हलफनामा दें, जिसमें यह बताया जाए कि रिपोर्ट में जिन कमियों की ओर ध्यान दिलाया गया है, उन्हें दूर करने के लिए क्या-क्या कदम उठाए गए हैं। कोर्ट ने ये भी साफ कहा कि अगर कोई ढील दिखी या लापरवाही हुई, तो उसे बहुत गंभीरता से देखा जाएगा। उन्होंने कहा कि आदेश का दूसरा हिस्सा राजस्थान हाई कोर्ट के निर्देशों से जुड़ा है। इन निर्देशों को दोबारा मंजूर किया जाता है। सभी राज्यों के नोडल अधिकारी यह सुनिश्चित करें कि राष्ट्रीय हाईवे आदि से आवारा जानवरों को हटाया जाए। सभी राज्यों को मिलकर एक संयुक्त अभियान चलाना होगा ताकि हाईवे, रोड और एक्सप्रेसवे पर दिखने वाले सभी जानवरों को तुरंत हटाया जा सके, जिनमें गाय-भैंस जैसे मवेशी भी शामिल हैं। इन मवेशियों और दूसरे जानवरों की पूरी देखभाल और जरूरत की सारी सुविधाएं देने की जिम्मेदारी भी तय की गई है।
कोर्ट ने निर्देश दिया है कि सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिव यह सुनिश्चित करें कि आदेश का सख्ती से पालन हो। अगर ऐसा नहीं हुआ, तो जिम्मेदार अफसरों पर व्यक्तिगत तौर पर कार्रवाई होगी। 8 हफ्तों में स्टेटस रिपोर्ट देनी होगी, जिसमें बताया जाए कि इन निर्देशों को लागू करने के लिए क्या सिस्टम बनाया गया है। जस्टिस मेहता ने कहा कि तीसरा हिस्सा संस्थानों की सुरक्षा से जुड़ा है। बढ़ते कुत्ते के काटने की घटनाओं को देखते हुए कोर्ट ने यह जरूरी निर्देश दिए हैं।

सभी राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश 2 हफ्तों के भीतर अपने सभी सरकारी संस्थानों की पहचान करें। जैसे जिला अस्पताल, पब्लिक स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स, रेलवे स्टेशन आदि। इन जगहों पर फेंसिंग लगाई जाए कि आवारा कुत्ते अंदर न आ सकें। यह काम 8 हफ्तों के अंदर पूरा किया जाए।
हर संस्थान के मैनेजमेंट को एक नोडल अधिकारी नियुक्त करना होगा, जो परिसर की देखभाल के लिए जिम्मेदार होगा। स्थानीय नगर निकाय (नगर निगम/नगर पालिका) इन जगहों का नियमित निरीक्षण करेंगे, ताकि कहीं भी आवारा कुत्तों का ठिकाना न बने। सरकारी संस्थानों के परिसर में दिखने वाले हर आवारा कुत्ते को तुरंत वहां से हटाकर शेल्टर में ले जाया जाए और नसबंदी के बाद वहीं रखा जाए। कुत्तों को दोबारा उसी जगह पर छोड़ना मना होगा, जहां से उन्हें पकड़ा गया था। ऐसा करने से पूरी कार्रवाई बेकार हो जाएगी।

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