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चार सालों में नवीन मेला स्थल की सूरत नहीं बदली,हर बार लोगों में उत्सुकता की मेला नए मैदान में लगेगा लेकिन कैंसिल होना समझ से बाहर

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”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम।
पिछले चार सालों से कांग्रेस की सरकार हर बार राजिम माघी पुन्नी मेला के मुख्य मंच पर नवीन मेला स्थल की महिमा का गुणगान करते हैं और स्थाई निर्माण की बात कहकर आने वाले वर्ष में पूरी तरह से तैयारी के साथ नवीन मेला स्थल पर मेला लगने की बात कहते हैं। लगातार क्षेत्र के ही नहीं बल्कि पूरे प्रदेश के लोगों में स्थाई निर्माण कैसे होगा। कहां पर क्या लगेगा, सड़क कैसी बनेगी, कुटिया कहां पर निर्मित किए जाएंगे, मुक्ताकाशी मंच का आकार कैसे होगा, कितने दर्शक एक साथ बैठकर कार्यक्रम का लुफ्त उठाएंगे। ऐसे अनेक प्रश्न मन में आज भी गूंज रहे हैं। क्योंकि प्रदेश सरकार ने पैरी नदी के किनारे चौबेबांधा राजिम मार्ग पर करीबन 60 एकड़ से भी अधिक भूमि नवीन मेला मैदान के लिए आरक्षित कर लिए हैं। पिछले 3 सालों से भूमि समतल करने की बात कह रहे थे लेकिन इस बार सरकार के चौथे वर्ष में भूमि समतल करने का काम वर्तमान में द्रुतगति से चल रही है। चार राजस्थानी ट्रैक्टर पिछले 15 दिनों से लगातार लेवलिंग का कार्य कर रही है। अभी भी यह कार्य शेष है। यदि गड्ढे को पाटा जाता है। और पूरे मैदान को बराबर किया जाता है तब इस स्थल का महत्व और बढ़ जाएगा ओर से लेकर छोर तक नवीन मेला स्थल का अपना अलग आकर्षण होगा। बता देना जरूरी है कि नदी के किनारे तटबंध बनी हुई है। तटबंध के पूर्व दिशा की ओर 25 से 30 फीट गहरी गड्ढे हैं। जब तक यह गड्ढे पैक नहीं होंगे रौनकता कहां से आएगी। जानकारों का कहना है कि तटबंध के ऊंचाई तक लाने के लिए हजारों ट्रक मलबे या फिर मिट्टी की जरूरत होगी। इसके लिए प्रशासन को बड़ी राशि लगेगी। इनके अलावा कई जगह गड्ढे हैं। चौबेबांधा के ही घोर्री मैदान में तालाब आकार का बड़े-बड़े तीन चार गड्ढे हैं। इन्हें पाटने ही दो-तीन महीने का समय लग सकता है। दूसरी ओर इस नवीन मेला मैदान में सड़कों का जाल बिछाना है। पिछली बार धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू निरीक्षण में पहुंचे थे तब उन्होंने यह क्लियर कर दिया था कि चौड़ी सड़कें बनेगी तथा पाथवे भी बनाया जाएगा। बड़ी गाड़ियों के चलने का अलग रास्ता होगा। छोटी गाड़ियां दूसरी सड़क पर चलेगी तथा पैदल यात्रियों के लिए अलग व्यवस्था होगी। इस बार 12 दिसंबर सोमवार को अचानक पहुंचे गृह एवं धर्मस्व मंत्री ताम्रध्वज साहू ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि नवीन मेला स्थल के लिए डायग्राम बना लिया गया है। कहां पर धर्मशाला बनेगा। स्टेज, सड़क, शेड़, साधु संतों के ठहरने की कुटिया, मीना बाजार परमानेंट दुकानें कहां पर व्यस्त होगी तथा 15 से 20 एकड़ भूमि पर गार्डन डेवलप होगा। इन सभी के लिए नजरी नक्शा तैयार हो गया है। भूमि समतल होने के बाद स्टेज का काम चालू होगा। उन्होंने यह भी कहा कि माघ पूर्णिमा का मेला नजदीक है। 5 फरवरी को ही मेला प्रारंभ हो रहा है इतने कम दिनों में तैयारी करना मुश्किल है इसलिए इस बार त्वरित सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाने के कारण मेला पुरानी स्थल पर ही लगेगा तथा आने वाले वर्ष में नवीन स्थल पर लगना तय है। मंत्री जी ने यह भी कहा कि लोग कह रहे हैं कि इतने कम समय पर तैयारी मुश्किल है। इधर लोगों की उत्सुकता बनी हुई है कि कब नवीन मेला स्थल पर मूर्त रूप लेते हुए देखें। हमारे संवाददाता ने अपनी टीम के साथ मेले स्थल का दौरा किया। मात्र 4 राजस्थानी ट्रैक्टर से भूमि को समतल करने का कार्य चल रहा था इनके अलावा और कोई कार्य नहीं दिखा। अलबत्ता एक जेसीबी मशीन द्वारा ट्रैक्टर मिट्टी ले जा रहे थे। वह कहां पर ले जा रहे हैं पता नहीं चल पाया। इनके सिवा और कहीं पर कोई काम नजर नहीं आई। मेला के लिए ढेर सारे कार्य बाकी है परंतु काम की सुस्त गति नवीन मेला मैदान पर कैसे मेला मूर्त रूप लेगी चिंतनीय बन गई है। सरकार पिछले चार सालों से विकसित करने की बात कह रही है परंतु अभी तक ऐसा कुछ दिखाई नहीं दिया। गत दिनों भेंट मुलाकात कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल शहर पहुंचे थे वहां उन्होंने पत्रकार वार्ता के दौरान नवीन मेला स्थल का जिक्र किया और शीघ्र विकसित करने की बात कही। उन्होंने बताया कि पिछले बजट में मेले के लिए राशि स्वीकृत किया था अगली बजट में सप्लीमेंट्री राशि भी स्वीकृत की जाएगी और उसे संवारने का काम चलेगा। इधर टास्क फोर्स की पिछले चार-पांच माह पहले एक बार बैठक हुई थी जिसमें कार्यों की प्रगति पर चर्चा की गई थी। इस बैठक में पत्रकारों को नहीं बुलाया गया था नतीजा सही जानकारियां आम जनता तक नहीं पहुंच पाई। जानकारी के आधार पर एक करोड़ 85 लाख बजट में नवीन मेला मैदान के लिए मिले हैं। काम ढेरों और राशि कम। लोगों के गले नहीं उतर रही है। जो काम पिछले 4 सालों से नहीं हो पाए वह साल भर में कैसे होगी यह भी चिंतन का विषय बन गया है। यहां निरीक्षण के लिए आने के बाद उनके चले जाने से कई सवाल जन्म ले लिए हैं। बताना होगा कि मंत्री ताम्रध्वज साहू 3 वर्षों में करीब 6 से 7 बार निरीक्षण कर चुके हैं। बावजूद इसके काम की गति ना के बराबर है।

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