पांचवीं कक्षा के बच्चें जांच अधिकारियों के सम्मुख अपना नाम तक नहीं लिख पाये, दो शिक्षक लेते रहे तनख्वाह पर स्कूल से रहते थे नदारद
“नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। अन्तागढ़ ब्लॉक के ग्राम आलानार के आश्रित ग्राम कोटकोड़ो स्कूल में शिक्षकों की लापरवाही व दो वर्षों से स्कूल से नदारद रहने की खबर वायरल के बाद स्कूल शिक्षा विभाग इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच टीम गठित कर जांच के लिए नक्सल प्रभावित क्षेत्र के उस स्कूल में पहुँचे जहाँ स्कूली बच्चों व ग्रामीणों के साथ ही साथ दोनों शिक्षकों को भी बुला कर खबर की पुष्टि की गई तो जांच अधिकारियों के भी होश उड़ गये व इस मामले की गम्भीरता को देखते हुए दोनों शिक्षकों व जिनके कार्यक्षेत्र व निगरानी में यह स्कूल है उनके ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने की बात कही है।
ज्ञात हो कि आमाबेड़ा क्षेत्र के ग्राम पंचायत आलानार आश्रित ग्राम कोटकोड़ो में पिछले दो वर्षों से दो शिक्षकों की अनुपस्थिति से प्राथमिक शाला के बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह से प्रभावित था जहाँ कक्षा पांचवीं के बच्चों का न तो अक्षर कक ज्ञान है न ही गिनती जिससे अंदरूनी क्षेत्रों की शिक्षा व्यवस्था व इस व्यवस्था की निगरानी करने वाले किस तरह अपनी जिम्मेदारियों का निर्वहन कर रहे है यह देखने को मिला जिसकी खबर प्रमुखता आए प्रकाशित हुई जिस जिला शिक्षा अधिकारी भी जांच टीम गठित कर सोमवार को ग्राम कोटकोड़ो के लिए रवाना हुए जहां जांच अधिकारियों के सामने ही शिक्षा व्यवस्था की पोल खुल गई व कक्षा पांचवीं के बच्चें अपना नाम तक नहीं लिख पा रहे थे जिस पर सभी जांच अधिकारी हतप्रभ रह गये इस तरह की लापरवाही को बर्दाश्त नहीं करने की बात कही साथ ही शिक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने गांव के ही बेरोजगार युवक जगदीश कोर्राम को कल से ही बच्चों को पढ़ाने की जिम्मेदारी दी गई जिससे ग्रामीणों में खुशिबकी झलक दिखी।
बता दें कि इस क्षेत्र का यह पहला स्कूल नहीं है जहां यह स्थिति है बल्कि समय-समय पर यदि इस क्षेत्र के स्कूलों का निरीक्षण किया जाये तो कई स्कूल ऐसे है जहाँ बच्चों की प्राथमिक शिक्षा अधर पर है वह भी केवल शिक्षकों की लापरवाही की वजह से इस क्षेत्र में स्कूल के बजाये शिक्षक शराबखोरी कर गांव का चक्कर मार गायब हो जाते इसका एक मुख्य कारण यह भी है कि जिनकी निगरानी की जिम्मेवारी है वे अधिकारी केवल कार्यालयों में बैठ टेबल वर्क करके अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते है जिसकी वजह से अंदरूनी क्षेत्र बीके शिक्षक अपनी मनमानी करते है व स्कूलों का यह हाल है। अन्तागढ़ बीईओ बीआरसी को भी ऐसे स्कूलों की निरंतर निगरानी करने की आवश्यकता है। वहीं जिला प्रशासन के उच्च अधिकारियों को भी ऐसे स्कूलों का एक बार निरीक्षण करने की आवश्यकता है। जिला मुख्यालय के आसपास कुछ संस्थानों के निरीक्षण व फोटोसेशन की आदत को छोड़ अंदरूनी क्षेत्रों में ऐसी अव्यवस्था पर गम्भीर होकर सरकार की मंशा को पटरी पर लाने की आवश्यकता है।
आज निरीक्षण में गये अधिकारी सहायक संचालक लक्ष्मण कावड़े, जिला मिशन समन्वयक आरपी मीरे व भानुप्रतापपुर बीईओ शामिल रहे।
इस पूरे मामले जिला मिशन समन्वयक आरपी मीरे ने स्पस्ट किया कि जो भी खबर प्रकाशित हुई है वह सत्य है साथ ही दोनों शिक्षक सही में अनुपस्थित रहे जिसकी पुष्टि बच्चे व ग्रामीणों ने जांच टीम के सम्मुख की है जिसके चलते बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है साथ ही साथ जांच में जो भी दोषी पाये जाएंगे समन्वयक खण्ड स्त्रोत सनवयक, खण्ड शिक्षा अधिकारी दोनों पर भी गाज गिर सकती है।