शुभ मुहूर्त को लेकर बनी रही ऊहापोह की स्थिति,सावन पूर्णिमा लगते ही भाइयों की कलाई राखी से सजी
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । रक्षाबंधन के अवसर पर बहनों ने भाइयों की कलाई गुरुवार को राखी से भर दिया। सुबह 6:00 बजे से लेकर 11:30 बजे अर्थात साढ़े 5 घंटे तक बहनों ने अपने भाई को राखी बांधने के लिए लंबा इंतजार किया। उसके बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व प्रारंभ होते ही हर्षोल्लास में पूरा अंचल डूब गया। सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को सुबह 11:38 को पूर्णिमा तिथि लगने के उपरांत ही संपूर्ण दिन चंद्रमा मकर राशि में रहा जिसके कारण भद्रा का वास पाताल लोक में रहा। पताल लोक में भद्रा के रहने से यह शुभ फलदायी रहा इसलिए पूरे दिन लोगों ने अपनी सुविधा के अनुसार राखी बांधकर त्यौहार को मनाया गया। पंडित गुलाब शर्मा ने बताया कि जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ व मीन राशि में होता है तब भद्रा का वास पृथ्वी पर होता है चंद्रमा जब मेष वृष मिथुन या वृश्चिक में रहता है तब भद्रा का वास
स्वर्गलोक में रहता है। कन्या तुला धनु या मकर राशि में चंद्रमा के स्थित होने पर भद्रा पाताल लोक में होती है तथा वही प्रभावी रहती है इस प्रकार जब चंद्रमा कर्क कुंभ या मीन राशि में होगा तभी वह पृथ्वी पर वास करेगी अन्यथा नहीं। जब भद्रा स्वर्ग या पाताल लोक में होगी तब वह शुभ फलदायी कहलाएगी। उन्होंने बताया कि सावन पूर्णिमा तिथि का समय 11 अगस्त को सुबह 10:30 से शुरू होकर अगले दिन यानी 12 अगस्त को सुबह 7:05 बजे तक रहेगा। उल्लेखनीय है कि रक्षाबंधन को लेकर पिछले 3 दिनों से बाजारों में खरीदारों के अच्छी खासी भीड़ लगी रही। राखी के दुकान बड़ी संख्या में सजे हुए थे। कुछ विक्रेता चना दाल या फिर चावल का उपयोग कर राखी का निर्माण किए थे उन्हें बेचकर वह अपनी जीविकोपार्जन में उपयोग के लिए इकट्ठा किए। मिठाई दुकानों में भी अच्छी खासी भीड़ लगी रही अधिकतर पैकेट बंद मिठाई भी बेचे गए। मिठाई की कीमत पहले से ज्यादा होने के कारण कई लोग कीमत सुनकर ही वापस हो गए और कुछ लोगों ने मिठाई खरीद कर अपने घर ले गए कपड़ा दुकानों पर भारी भीड़ लगी रही तो फैंसी दुकान भी गुलजार रहा। बहनों ने अपने भाइयों के सर्वप्रथम आरती उतारे तथा तिलक लगाकर रक्षा सूत्र बांधा गया और लक्ष्मी नारायण की जय कारा भी किया बताया जाता है कि इस दिन लक्ष्मी नारायण भगवान के नामों का सम्मान करने से ही शुभ होता है। रक्षा सूत्र बांधते हैं भाई अपने बहनों को उपहार स्वरूप सामग्री या फिर रूपए पैसे भेंट किए। सुबह से लेकर सड़कों पर दो पहिया वाहन एवं चार पहिया वाहन धारियों की लंबी भीड़ लगी रही। बहना अपने भाइयों को राखी बांधने के लिए उनके घर गए तो भाइयों ने भी बहनों के घर जाकर अपने हाथों की कलाई को राखी से सजा दिया। बताना होगा कि रक्षाबंधन किस पर वह को धूमधाम के साथ मनाया गया इस मौके पर प्रत्येक गांव व शहरों के मोहल्लों में भी पूरे सावन महीना तक रामायण का कार्यक्रम आयोजित होता है जिन्हें श्रावणी रामायण कहते हैं उनका समापन किया गया समापन अवसर पर संगीत में रामायण की प्रस्तुति भी हुई। शहर गांव सभी जगह बहनों की चहल पहल लगी रही शाम रात तक राखी बांधते रहे।