हिंसा से पीड़ित महिला को जल्द से जल्द मदद करने की आवश्यकता पड़ती है जैसे मेडिकल सपोर्ट, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग
दुर्ग । राजेश श्रीवास्तव जिला एवं सत्र न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के मार्गदर्शन एवं निर्देशन में कोविड-19 के संक्रमण को ध्यान में रखते हुए, श्रीमती गंगा पटेल व्यवहार न्यायाधीश वर्ग -1 एवं श्री उमेश उपाध्याय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग -1 द्वारा ऑनलाइन वीसी के माध्यम से बताया की एक महिला अगर किसी भी तरह की हिंसा सहती है तो उसकी जल्द से जल्द मदद करने की जरूरत पड़ती है जैसे मेडिकल सपोर्ट, कानूनी सहायता, अस्थायी रूप से रहने के लिए स्थान, मानसिक और भावनात्मक सहयोग। इस दशा में ये बेहद जरूरी हो जाता है कि उस महिला को ये सभी मदद एक ही स्थान पर मिल जाए और उसे अलग-अलग जगहों पर भटकने की जरूरत न पड़ें। इसी को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ‘वन स्टॉप सेंटर योजना’ की शुरुआत की। इसके तहत किसी भी महिला को जिस तरह की भी मदद चाहिए, वो इस योजना के तहत आने वाले मुख्य बिंदुओं को जानकर ले सकती है।
‘वन स्टॉप सेंटर स्कीम’ का मतलब है एक ऐसी व्यवस्था, जहां हिंसा से पीड़ित कोई भी महिला सभी तरह की मदद एक ही छत के नीचे एक साथ पा सकती है। इन सेंटर्स को अस्पतालों में चलाया जाता है, जहां मेडिकल ऐड, लीगल ऐड, अस्थायी रूप से रहने के लिए जगह, केस फाइल करने के लिए मदद, काउंसिलिंग सब कुछ एक ही जगह पर उपलब्ध होती है। इस सेंटर में किसी भी तरह की हिंसा सह रही महिला, बलात्कार, लैंगिक हिंसा, घरेलू हिंसा, ट्रैफिकिंग, एसिड अटैक विक्टिम, दहेज संबंधित हिंसा, सती, बाल यौन शोषण, बाल विवाह, भु्रण हत्या जैसे मामलों से पीड़ित कोई भी महिला यहां जा सकती है ।
महिलाओं से संबंधित कुछ कानुन -घरेलू हिंसा से महिलाओं के संरक्षण हेतु महिलाओं का संरक्षण अधिनियम 2005 बनाया गया। इस अधिनियम का उद्देश्य महिलाओं के साथ होने वाली घरेलू हिंसा को समाप्त करना था। इस अधिनियम के अंतर्गत पति द्वारा घर से निकाली गई महिला को घर में प्रवेश दिलाने का अधिकार भी दिया गया है या तलाकशुदा महिला को भरण पोषण उसकी संतान को भरण पोषण दिए जाने का अधिकार भी दिया गया है। यह महिलाओं के लिए बनाया गया अत्यंत सार्थक एवं सशक्त कानून है, जिसके माध्यम से महिलाओं के प्रति हो रही हिंसा को रोका जा सकता है।
भू्रण लिंग चयन निषेध अधिनियम 1994 इस अधिनियम के अंतर्गत लिंग के चयन को निषेध किया गया है एवं लिंग के परीक्षण को पूर्णतः अवैध बनाया गया है। अनैतिक व्यापार निवारण अधिनियम 1956- इस अधिनियम का मूल उद्देश्य महिलाओं को वेश्यावृत्ति से बचाना है एवं जो महिलाएं पूर्व से वेश्यावृत्ति इत्यादि कामों में लगी हुई है उनका उत्थान करना है ।
दूसरा विवाह आईपीसी धारा 494 के अनुसार जो कोई पति या पत्नी के जीवित होते हुए किसी ऐसी दशा में विवाह करेगा, जिसमें ऐसा विवाह इस कारण शून्य है कि वह ऐसे पति या पत्नी के जीवन काल में होता है। इस प्रकार पहले जीवन साथी के जीवित रहने पर दूसरा विवाह करना दंडनीय अपराध है। इसके लिए 7 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है और दोषी जुर्माने से भी दंडनीय होगा।