राजिम परसवानी मार्ग पर बिजली की लाइन डालने के लिए काटे जा रहे पेड़
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । एक स्वस्थ पेड़ हर दिन लगभग 230 लीटर ऑक्सीजन छोड़ता है जिससे सात लोगों को प्राणवायु मिल पाती है। यदि हम इसके आसपास कचरा जलाते हैं तो इसकी ऑक्सीजन उत्सर्जित करने की क्षमता आधी हो जाती है इस तरह हम तीन लोगों से उसकी जिंदगी छीन लेते हैं आज पेड़ों की कटाई पर्यावरण के लिए सबसे बड़ा खतरा बन चुकी है। जिनका जीता जागता उदाहरण चौबेबांधा जाने वाली राजिम परसवानी मार्ग में देखने को मिला। जी हां शहर के ही नवीन मेला ग्राउंड के रोड किनारे करीब 4 साल पहले वन विभाग के द्वारा पेड़ लगाए गए थे। बरसात में ही इनकी देखभाल अच्छी तरह से हो रही थी क्योंकि गर्मी के दिनों में इन्हें तेज धूप सहना पड़ रहा था नतीजा जिस गति से इनकी बाढ़ होनी चाहिए थी वह नहीं हो पाई। फिर भी धीरे धीरे कर 48 महीने में 5 से 7 इंच तक गोलाकार मोटाई हो गए और अब तो पेड़ों का आकार इस बरसात में तेजी के साथ बढ़ रहा था परंतु बुधवार की शाम बिजली विभाग के कर्मचारी बिजली पोल गड़ाकर उसमें तार खींचने के लिए इन पेड़ों को ही काट दिया। तकरीबन 15 से 20 फीट ऊंची इन पेड़ों को इस कदर काटा गया है की भविष्य में इनके पेड़ के रूप में उभरने की गुंजाइश ही नहीं है। तीन पेड़ पूरी तरह से कर चुके हैं बाकी कुछ पेड़ों के तने को काटे गए हैं। हमारे संवाददाता ने पेड़ कटाई कर रहे लोगों से पूछा तो उन्होंने बताया कि हम लोग बिजली विभाग से हैं। जानकारी के मुताबिक बिजली सप्लाई के लिए तार खींचने के बाद किसी को दिक्कत ना हो इसलिए इन पेड़ों को काटी जा रही है। उल्लेखनीय है कि तेजी से कट रहे पेड़ पौधों से वातावरण प्रदूषित हुआ है। कार्बन डाइऑक्साइड और अवशोषित करने वाले तथा ऑक्सीजन देकर प्राणवायु देने वाली इन पेड़ों की चिंता किसी को नहीं है जिसे जब चाहे काम आ जाए पेड़ों को काटने में गुरेज नहीं करते हैं। यहां पर अभी अभी प्लाटिंग का काम तेज गति से हो रही है इसे देखते हुए बिजली खंभे लगाने का काम भी द्रुतगति से जारी है नतीजा पेड़ों को अपनी बलि देनी पड़ रही है। चार साल से बड़ी मुश्किल में यह पेड़ छोटे से बड़े हुए थे लेकिन विभागीय कामों में आड़े आते हुए देख कटे हुए इन पेड़ों के ठूंठ को देखकर लोग आश्चर्य हो रहे हैं आने जाने वाले राहगीर यह दृश्य देखकर हदप्रद हो रहे हैं। क्योंकि लोगों ने इन पेड़ों को छोटे से बड़े होते हुए देखा है और जब यह छाया देने लगे तो इनको काट दिया गया यह लोगों को जमकर खल रही है। वैसे भी सरकार पर्यावरण को स्वच्छ बनाने के लिए सड़क किनारे पेड़ लगाने का काम करते हैं लेकिन यहां पर पेड़ को क्यों काटा गया। बिजली के तार या खंभे को थोड़ी दूर ले जाकर गड़ाया जा सकता था। सड़क से महज 3 से 4 फीट की दूरी पर यह पेड़ लगा हुआ है वैसे भी यह पीडब्ल्यूडी विभाग के अंतर्गत आता है। इस कृत्य को देखकर हर कोई यही कह रहे हैं कि प्रदेश में नियम कायदा कानून नहीं दिख रहे हैं जिनको जो जैसा करना चाहे वह पूरी तरह से स्वतंत्र है।