मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ मजदूरों ने लिया संघर्ष का संकल्प
”नरेश भीमगज की रिपोर्ट”
कांकेर। 1 मई मजदूर दिवस के अवसर पर सरकार की मजदूर विरोधी नीतियों के खिलाफ संघर्ष को तेज करने का संकल्प लिया है।
शहर के मड़ई मेला में राजमिस्त्री रेजा कुली एकता यूनियन की ओर से”मई दिवस की परंपरा “विषय पर आयोजित सेमीनार को संबोधित करते हुए संगठन के राज्य कार्यकारी अध्यक्ष सुखरंजन नंदी ने मई दिवस के इतिहास पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि मई दिवस अंतरराष्ट्रीय मजदूर एकजुटता दिवस हैं।सन 1889 में पेरिस शहर में दूसरे अंतर्राष्ट्रीय मजदूर सम्मेलन से पूरे दुनिया में 1 मई को आठ घंटे काम की मांग दिवस पालन करने का आव्हान के तहत समूचे दुनिया में मई दिवस का पालन किया जाता हैं।
उन्होने कहा कि दुनियाभर के मई दिवस को मजदूरों के संघर्ष और शहादत के प्रतीक के रूप में मनाया जाता रहा हैं।लेकिन शासक वर्ग मई दिवस की महत्व को कम करने के लिए इस दिन को मजदूरों के उत्सव व त्यौहार के रूप में मनाया जा रहा हैं।
मजदूर नेता ने कहा कि आज मोदी सरकार आठ घंटा काम के बदले मजदूरो से 12 घंटे काम लेने, ट्रेड यूनियन के पंजीयन की प्रक्रिया को जटिल बना कर ट्रेड यूनियन के अधिकार को ही छीनने पर अमादा हैं।
वही दूसरी तरफ भूपेश सरकार मई दिवस को बासी तक सीमित कर देना मई दिवस की गौरवशाली संघर्ष को ही धूमिल करने का काम कर रहे है और केन्द्र सरकार के सहयोगी बने हुए हैं।
सेमिनार को किसान सभा के बासुदेव दास ने संबोधित करते हुए वर्तमान दौर में मजदूरो के समक्ष चुनौतियों पर विस्तार से चर्चा करते हुए इन चुनौतियों का मुकाबला करने के लायक संघर्ष और संगठन निर्माण करने पर जोर दिया।
विचार-गोष्ठी की अध्यक्षता नजीब कुरैशी ने किया।
विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से देवचंद भास्कर, ओमप्रकाश देवांगन,पुरूषोत्तम मरकाम, रूप सिंह,अमृत साहू, अर्जुन साहू,रमेश साहू, संतोषी बरिहा सहित अनेको लोग शामिल थे।