मेले की तैयारी शुरू 14 दिन शेष,नदी की रेत को ट्रैक्टर से किया जा रहा समतल

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“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। प्रदेश के प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला की तैयारी बैठक शनिवार को प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू एवं प्रभारी मंत्री अमरजीत भगत के साथ ही विधायक अमितेश शुक्ल ने तमाम विभाग के आला अफसरों के साथ बैठकर शीघ्र तैयारी करने की दिशा निर्देश दिए। इस दौरान मंत्री ताम्रध्वज साहू ने कहा कि मेले की व्यवस्था इस बार कोविड-19 को देखते हुए पूर्ववत रहेगी। इनके स्वरूप पर उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री भूपेश बघेल उत्तर प्रदेश के दौरे पर है उनके आने के बाद ही इस पर चर्चा होगी। बता देना जरूरी है कि मेले में प्रमुख तीन स्नान होंगे। इनका शुभारंभ 16 फ़रवरी माघ पूर्णिमा तथा समापन 1 मार्च महाशिवरात्रि को होगा। हमारे संवाददाता ने त्रिवेणी संगम में पहुंचकर तैयारियों का जायजा लिया इस दौरान कहीं कोई जिम्मेदार अधिकारी नहीं दिखे बल्कि कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर के पास तीन चार की संख्या में राजस्थानी ट्रैक्टर रेत को समतल करते हुए दिखाई दिए। संगम में ही पूरा काम बचा हुई है और मात्र 14 दिन शेष है ऐसे में कछुआ गति से चल रही काम से अंदाजा लगाया जा सकता है कि इन बचे दिनों में किस तरह से मूर्त रूप दिया जाएगा। संवाददाताओं ने तैयारी बैठक में ताम्रध्वज से कहा कि समय बहुत कम है ऐसे में कैसे तैयारी होगी तब उन्होंने कहा था कि यह उनकी जानकारी में है और माघ पूर्णिमा से पहले ही तैयारी पूर्ण हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि पंचेश्वर महादेव मंदिर से लेकर लोमस ऋषि आश्रम तक नदी में रेत की सड़क बनाई जाती है सड़क के बीच में ही तकरीबन 5 से 6 फीट चौड़ी फर्शीकरण किया जाता है। यह अत्यंत संकरा होने के कारण कई बार चार पहिया वाहन मुश्किल में पड़ जाता है और सामान ढ़ुलाने में दिक्कत हो जाती है कहीं दो गाड़ियां आगे पीछे हो गई तो एक को रेत में उतारना पड़ता है। कुलेश्वर नाथ महादेव मंदिर में गोलाकार सड़के होती है और यहीं से ही नवापारा के नेहरू घाट को जोड़ती है। एक रास्ता सीधे नेहरू घाट से लेकर अटल घाट तक लंबी होती है इन्हें मात्र रेत का ही बनाया जाता है। सड़क के दोनों किनारे रेत की बोरिया भरकर उन्हें आकार दिया जाता है। नदी में स्नान कुंड बनाए जाते हैं जो लंबा चौड़ा वर्गाकार में होता है। पवित्र तिथियों को यहां स्नान किया जाता है गंगा आरती घाट को भी आकर्षक लुक दिया जाता है यहां भी लोग स्नान करते हैं और शाम को गंगा आरती होती है। अटल घाट के पास भी स्नान की व्यवस्था होती है पिछले वर्ष यहां पर साफ सफाई का अभाव देखा गया। लोग गंदे पानी में ही नहाने के लिए विवश हुए। एनीकट के पास अभी भी गंदगी पसरी हुई है। इनके अलावा सोन तीर्थ घाट में अस्थि विसर्जन के लिए देशभर से लोग प्रतिदिन पहुंच रहे हैं यहां पर गंदगी का ढेर लगा हुआ है जिसे सफाई करने में न ही स्थानीय प्रशासन अभी तक दिलचस्पी दिखाई है और ना ही जिला प्रशासन ने कोई कार्य किया है यह भी तय नहीं है कि सोन तीर्थ घाट को सफाई किया जाएगा कि नहीं। यहां अलग-अलग घाट है जिनमें संगम घाट, अटल घाट, सोन तीर्थ घाट, बेलाही घाट, नेहरू घाट प्रमुख है। महोत्सव मंच के पास मात्र दर्शक दीर्घा की रेत को समतल किया गया है बाकी पूरी काम अभी बाकी है पुलिस कंट्रोल रूम, शासकीय प्रदर्शनी के स्टाल, मुक्ताकाश सांस्कृतिक मंच, ग्रीन रूम, मीडिया सेंटर, पार्किंग के अलावा शौचालय, नल फिटिंग जैसे ढेरों काम कराने हैं परंतु गति सुस्त होने से कोई प्रगति नहीं दिख रही है। अभी तक पुरानी मेला मैदान में भी कहीं कोई तैयारी नजर नहीं आ रही है। मेले की तैयारी शुरू तो हुई है लेकिन गति नहीं पकड़ी है। इस बार मेले में स्थानी साधु-संतों को ज्यादा तवज्जो दी जाएगी इनके लिए कुटिया बनाने का काम भी शुरू नहीं हुआ है। यहां काम हर साल वन विभाग करते हैं। घास फूस एवं बांस बल्ली का इंतजाम उन्हें करने पड़ते हैं। खाद्य विभाग के द्वारा दाल भात सेंटर की व्यवस्था की जाती है। पीडब्ल्यूडी विभाग रोड बनाते हैं तो जल संसाधन विभाग जल की व्यवस्था करते हैं। पीएचई विभाग के साथ ही नगर पंचायत साफ सफाई तथा स्वास्थ्य विभाग के द्वारा जांच एवं दवाई तथा डॉक्टरों की व्यवस्था की जाती है। ऐसे अलग-अलग विभागों को दायित्व सौंपा गया है।

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