अंगद संवाद के बाद रावण धू-धू कर जला, चौबेबांधा में दशहरा पर्व पर हुआ रामलीला का मंचन
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। चौबेबांधा में विजयदशमी पर्व धूमधाम के साथ मनाया गया। इस मौके पर श्रीराम दरबार मानस मंडली के तत्वाधान में प्रतिवर्ष अनुसार इस वर्ष भी रामलीला का मंचन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि सरपंच दुलीचंद ने कहा कि विजयदशमी पर्व एकता एवं भाईचारे को दर्शाती है। राम ने रावण का वध कर अमन चैन एवं शांति का राज्य स्थापित किया था। अध्यक्षता कर रहे उपसरपंच धनेंद्र साहू ने कहा कि रावण में अहंकार था किंतु रामचंद्र शांति का पर्याय है। उन्हें अहंकार छू तक नहीं पाए और कहा भी गया है अहंकार विकार है इससे दूर रहने से मनुष्य का कल्याण होता है। विशिष्ट अतिथि की आसंदी से गौठान समिति के अध्यक्ष विष्णु राम जांगड़े ने कहा कि राम का जीवन चरित्र आज भी प्रासंगिक है। दुर्गा समिति के अध्यक्ष महेश सोनकर, सीरत साहू, नक्छेडा साहू, पंचराम पाल, महेंद्र पटेल आदि सभी अतिथियों ने रामचंद्र जी की पूजा अर्चना कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया। रावण अंगद संवाद काफी देर तक चले। लोगों ने एक एक डायलॉग को ध्यान से सुना उसके बाद अंगद के पैर को जैसे ही राक्षसों ने उठाने का प्रयास किया वह दृश्य काफी रोमांचित कर दिया। पश्चात अंगद के पैर को रावण उठाने को आतुर हो जाते हैं इस पर अंगद कहते हैं कि यदि तुम्हें पैर छूना ही है तो प्रभु रामचंद्र जी का पैर स्पर्श कीजिए, कहकर वापस चले आते हैं। मेघनाथ का वध हुआ। कुंभकरण नींद में सोए हुए थे उन्हें उठाया जाता है। इसके बाद कुंभकरण खुद रावण के पास जाकर सीता मैया को वापस करने की बात कहते हैं। यह दृश्य देखकर दर्शकों के आंखों से आंसू निकल पड़े। इस संवाद ने लोगों को अंदर से प्रभावित किया। उसके बाद युद्ध की जैसे ही दुमदुमी बजी। माहौल देखते ही बन रही थी कि कुंभकरण और राम के साथ युद्ध चल ही रहे थे कि आसमान से पानी गिर गए। इस समय दर्शकों के ऊपर पानी की बूंदे पड़ी तो वह खड़े हो गए। पानी कम होने के पश्चात राम रावण युद्ध चला। रामचंद्र ने अग्निबाण छोड़कर रावण का वध किया और पुतला धू-धू कर जलता रहा। शानदार आतिशबाजी होगी इस मौके पर बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित हुए। बताना जरूरी होगा कि यहां प्रतिवर्ष दशहरा पर रामलीला का आयोजन होता है परंतु पुलिस व्यवस्था नहीं होने से दर्शक कमी महसूस कर रहे थे और बीच-बीच में असामाजिक तत्व व्यवधान उत्पन्न कर रहे थे। जबकि बकायदा शांति व्यवस्था हेतु आवेदन दिया गया था। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर ग्रामीण बहुत चिंतित थे।