जन्म के बाद मृत्यु निश्चित है: पं.जयप्रकाश शुक्ला
“संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम । चौबेबांधा में चल रहे श्रीमद् भागवत महापुराण कथा का आज दिन सोमवार को गीता पाठ एवं पूर्णाहुति के साथ संपन्न हो गया। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोतागण उपस्थित थे। उन्होंने स्वाहा स्वाहा करके हवन कुंड पर सांखला डालें तथा गीता की व्याख्या करते हुए भागवताचार्य पंडित जयप्रकाश शुक्ला ने कहा कि कुरुक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण अर्जुन को गीता का ज्ञान बांटे। उन्होंने कहा कि मृत्युलोक में जो आए हैं उसे एक दिन जाना ही पड़ता है। चाहे राजा, रंक व फकीर ही क्यों ना हो। कर्म का फल निश्चित रूप से मिलता है अच्छा कर्म करने पर अच्छा फल तथा खराब का फल हमेशा तकलीफ देह होता है। इसलिए हमारा टोटल ध्यान अच्छे कर्मों की ओर होना चाहिए। क्षणिक सुख के लिए धर्म को ना बिगाड़े। धर्म के चार चरण होते हैं जिनमें पहला चरित्र की पवित्रता, दूसरा सत्य का आचरण, तीसरा संयम एवं चौथा क्रोध का त्याग करना होता है। क्या सही और क्या गलत है इस बात के निर्णय करने के लिए हमारे ऋषि-मुनियों ने धर्म शास्त्र पुराण की रचना की है इन्हें पढ़ने और सुनने से एक सकारात्मक विचार पनपते हैं तथा निर्णय लेने की क्षमता विकसित होती है। धर्म के प्रति श्रद्धा जरूरी है। पंडित शुक्ल ने आगे कहा कि भागवत कथा साक्षात भगवान नारायण हैं इसे सुनने से ईश्वर भक्ति का फल प्राप्त होता है। उन्होंने आगे कहा कि हमें अपनी परंपरा को जीवित रखने के लिए सोच समझकर काम करने की जरूरत है। विदेशी संस्कृति लगातार हावी होती जा रही है और हम चकाचौंध की दुनिया में फंसते जा रहे हैं। वर्तमान में हमारे शास्त्र पुराण को विदेशी लोग अपना रहे हैं और हम विदेशी संस्कृति की ओर अपना झुकाव दिखा रहे हैं यह बड़ी विडंबना है। पूरी दुनिया भारत की संस्कृति संस्कार एवं प्राचीन ग्रंथों पर शोध कर रही है और हमारे पास इन्हें पढ़ने के लिए तनिक भी समय नहीं है। यह हमारे लिए गर्व की बात है कि हमारे ऋषि-मुनियों ने जो ग्रंथ हमें दिए हैं। उनकी एक एक बात में सत्यता है। जन्म के बाद मृत्यु तय है। ईश्वर ने हमें यह जीवन अच्छे कर्म करने के लिए दिया है। इसे अच्छे रास्ते पर ले जाइए आपका जीवन धन्य हो जाएगा। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रोता गण उपस्थित थे।