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संस्कृत हमारी संस्कृति और संस्कार की जननी

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रायपुर। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् में आज संस्कृत सप्ताह समापन समारोह का आयोजन मां सरस्वती एवं संस्कृत विद्यामंडलम् के प्रतीक चिन्ह, शिवशंकर भोले बाबा के तैल चित्र पर दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए डॉ. तोयनिधि वैष्णव ने कहा कि संस्कृत विश्व की प्राचीन भाषा है। मुख्य अतिथि डॉ. सुकदेव राम ‘सरस’ ने कहा कि संस्कृत सभी भाषा की जननी है। विशेष अतिथि डॉ. संतोष तिवारी ने कहा कि संस्कृत भाषा को ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से आगे बढ़ाया जा सकता है। विशेष अतिथि श्री प्रवीण झाड़ी ने कहा कि संस्कृत हम सबको जोड़कर रखती है। डॉ. बहोरन पटेल ने कहा कि संस्कृत संस्कारों को जन्म देती है। छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् के सचिव श्री राजेश कुमार सिंह ने कहा कि संस्कृत एक धरोहर के रूप में विद्यमान है। इसके बगैर कोई शुभ कार्य होना संभव नहीं। सहायक संचालक श्रीमती पूर्णिमा पाण्डेय ने कहा कि संस्कृत हमें संस्कृति और संस्कार सिखाती है। कार्यक्रम का संचालन करते हुए सहायक संचालक श्री लक्ष्मण प्रसाद साहू ने कहा कि जब तक संस्कृत भाषा जीवित है, तब तक हमारी संस्कृति और संस्कार जीवित रहेंगे। समापन अवसर पर छत्तीसगढ़ संस्कृत विद्यामंडलम् के अधिकारी-कर्मचारी उपस्थित थे।

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