नवीन मेला मैदान को भूली सरकार बचे गिनती के ढाई महीने शेष
”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”
राजिम। प्रदेश के लगातार 15 दिनों तक लगने वाली प्रसिद्ध राजिम माघी पुन्नी मेला को महज 75 दिन अर्थात ढाई महीने शेष बचा हुआ है। 5 फरवरी माघी पुन्नी मेला तथा 18 फरवरी दिन शनिवार को महाशिवरात्रि का पर्व मनाया जाएगा। पिछले 3 सालों से लगातार नवीन मेला मैदान पर मेला लगने की बात कर रही सरकार अभी तक जमीन आरक्षित करने के सिवाय और कुछ नहीं कर पाई है जो इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। मेला तिथि नजदीक आने पर लोग हमेशा डाउट में रहते हैं कि मेला इस बार कहां लगेगा और इधर सरकार ताल ठोक कर कहती है कि मेला नवीन मेला ग्राउंड पर ही लगेगी। देखते ही देखते एन वक्त पर निर्णय बदल दिया जाता है और पुरानी मेला मैदान में ही अंततः लगानी पड़ती है। शायद इस बार भी यही होने वाला है हमने कुछ लोगों से चर्चा किया तो उन्होंने कहा कि नवीन मेला मैदान को विकसित करने की योजना सिर्फ मंचों में सुर्खियां बटोरने का जरिया बन गया है। लोक कह रहे हैं कि तेजी से ना सही धीरे-धीरे ही काम किया जाए तो आने वाले समय में दृश्य बदला हुआ नजर आएगा। उल्लेखनीय है कि नवीन मेला मैदान के लिए वर्तमान में प्रदेश सरकार पैरी नदी के किनारे चौबेबांधा राजिम में भूमि आरक्षित किए हैं। इन तीन सालों में भूमि को समतल करने का काम भी ठीक से नहीं हो पाया है। खेतों के मेड़, कई जगह गड्ढे, उबर खाबड़ भूमि जिसे समतल करने में ही महीने भर का समय लग जाएगा। तटबंध के पास 25 से 30 फीट तक गहरा जिस पर सैकड़ों ट्रक मिट्टी या फिर मलबा लगेगा। इनको पाटने में लाखों करोड़ों रुपया का बजट आ सकता है। राजिम से लेकर चौबेबांधा पुल तक ओर से लेकर छोर तक मैदान ही मैदान है। लेकिन यह मैदान उपयोगी तब है जब इन्हें समतल किया जाएगा। जानकारी के मुताबिक इस जगह पर लंबी चौड़ी सड़कें भी बनाई जानी है। दो वर्ष पहले सड़कों के लिए जमीन चिन्हित कर लिया गया था और कुछ दूरी तक उन्हें बनाने के लिए भूमि को बराबर भी किया जा रहा था। तकरीबन तीन सौ गज की दूरी तक काम हुआ उसके बाद बंद पड़ा है जो आज तक बंद ही है। पिछले साल गरियाबंद के तत्कालीन कलेक्टर मेला मैदान पर निरीक्षण करने के लिए कई बार पहुंचे और उन्होंने भूमि समतल कराने की योजना भी बनाई। यहां काम भी चला उसके बाद प्रदेश के गृह मंत्री ताम्रध्वज साहू दिसंबर में ही मेला मैदान के निरीक्षण करने के लिए पहुंचे। उन्होंने एक सप्ताह में भूमि समतल पूर्ण कराने की बात अधिकारियों के बीच स्पष्ट किया था। एक जेसीबी मशीन से भूमि समतल हो रहे थे परंतु मंत्री जी के कहने के बाद दो जेसीबी लगा दिए गए और कुछ ही दिन चला पश्चात इन्हें बंद कर दिया गया जो आज तक बंद है उसके बाद से यहां कोई काम नहीं हुआ है। स्थाई निर्माण के लिए ढेरों काम होना है लेकिन प्रदेश सरकार के द्वारा दिलचस्पी नहीं लेने के कारण नाम का मात्र रह गया है। बताना होगा क्या अभी तक मेला को विकसित करने के लिए नवीन मेला मैदान में कहां पर क्या बनेगा और क्या निर्माण कार्य होगा यह प्रोजेक्ट सार्वजनिक नहीं हो पाया है या फिर बना ही नहीं है। बताना जरूरी है क्या प्रदेश सरकार में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल पिछड़ी बजट सत्र में राजिम मेला के विकास के लिए एक करोड़ 85 लाख ₹ की स्वीकृति दी थी। परंतु यह पैसा कहां है और इस पैसे का उपयोग किस तरह से होना कहां पर क्या बनना है यह क्लियर नहीं हो पाया है। इस नवीन मेला मैदान में कोई भी निर्माण कार्य नहीं दिख रही है। अलबत्ता पिछले एक सप्ताह से भी अधिक समय से नवीन मेला मैदान मे जेसीबी मशीन से मिट्टी उठाया जा रहा है और हाईवा व ट्रैक्टरों पर लोड कर उन्हें कहीं ले जाया जा रहा है इस तरह से यहां की कीमती मिट्टी का दोहन हो रहा है और जिम्मेदार चुप बैठे हुए हैं। बरसात के पहले भी इसी तरह से मिट्टी को उठाकर ले जाने की जानकारी मिली थी मिट्टी ले जाने वाले मालामाल हो रहे हैं। किसी को नवीन मेला मैदान को आकर देखने की फुर्सत तक नहीं है। यही स्थिति रही तो इस नवीन मेला मैदान का भगवान ही मालिक है। इस संबंध में राजीव एसडीएम पूजा बंसल ने बताया कि लोक निर्माण विभाग को आर्किटेक्ट प्लान बनाने का निर्देश प्राप्त हुआ है। अपडेट लेंगे।