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युवा सुभाषचंद्र बोस के जीवनी से लेते हैं प्रेरणा: धनेंद्र साहू

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”संतोष सोनकर की रिपोर्ट”

राजिम। चौबेबांधा के पंचायत भवन में आजादी की लड़ाई को नई ऊर्जा देने वाले नेताजी सुभाषचंद्र बोस की 125 वीं जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर नेताजी के छाया चित्र पर दीप प्रज्वलित कर फूल अर्पित किया गया। कार्यक्रम में उपस्थित उपसरपंच धनेंद्र साहू ने कहा कि नेताजी सुभाषचंद्र बोस भारत के उन महान स्वतंत्रता सेनानियों में शामिल है जिससे आज के दौर का युवा वर्ग प्रेरणा लेता है। सरकार ने नेताजी के जन्मदिन को पराक्रम दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की है। 23 जनवरी 1897 में उड़ीसा बंगाल डिवीजन के कटक में उनका जन्म हुआ था। पिता जानकीनाथ बोस और मां प्रभावती था। पिता कटक शहर के मशहूर वकील थे उनकी 14 संतानें थी जिसमें 6 बेटियां और 8 बेटे थे। सुभाष चंद्र बोस उनकी नौवीं संतान थी और पांचवें नंबर के बेटे थे। उनके द्वारा दिया गया नारा तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा आज भी भारतीयों के खून में उबाल भरने का काम कर रहा है। पंचायत सचिव उत्तम कुमार साहू ने कहा कि नेताजी की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के स्कूल में हुई उसके बाद उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए कोलकाता चले गए। उन्होंने भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी भी की इसके लिए उनके माता-पिता ने उन्हें इंग्लैंड के कैंब्रिज विश्वविद्यालय में भेज दिया था। दिलीप कुमार साहू ने अपने उद्बोधन में कहा कि सन् 1920 में उन्होंने इंग्लैंड में सिविल सर्विस परीक्षा पास की लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिस्सा लेने के लिए नौकरी छोड़ दी थी और देश को अंग्रेजों के चंगुल से आजाद कराने के लिए भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ गए। वह जलियांवाला बाग हत्याकांड की घटना से काफी विचलित थे। महात्मा गांधी उदार दल का नेतृत्व करते थे तो सुभाष चंद्र बोस जोशीले क्रांतिकारी दल के प्रिय थे। गांव के प्रबुद्ध इतवारी पटेल ने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने सन् 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रेलियन युवती एमिली से शादी की थी दोनों की एक बेटी अनीता हुई और वर्तमान में वह जर्मनी में अपने परिवार के साथ रहती है। भारत को आजाद कराने के लिए नेताजी ने 21 अक्टूबर 1943 को आजाद हिंद सरकार की स्थापना करते हुए आजाद हिंद फौज का गठन किया। 18 अगस्त 1945 को ताइपेई में हुए एक विमान दुर्घटना के बाद नेताजी लापता हो गए थे।इस अवसर पर बरात चेलक, योगेश चंद्राकर, वीरेंद्र साहू आदि उपस्थित थे।

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